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जानिए चातुर्मास का महत्व, नियम और अन्य जानकारी

myjyotish expert Updated 13 Jul 2021 10:54 PM IST
जानिए चातुर्मास का महत्व, नियम और अन्य जानकारी
जानिए चातुर्मास का महत्व, नियम और अन्य जानकारी - फोटो : google
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आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं। दूसरी भाषा में कहा जाए तो विष्णु देव अगले चार माह तक शयन के लिए चले जाते हैं। इसी कारण इसे देवशयनी एकादशी की नाम से जाना जाता है। इसके पश्चात वे ठीक चार महीने बाद यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को अपनी निद्रा से जागते हैं। इस तिथि को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।
जिस दौरान विष्णु जी निद्रा में रहते हैं वो चार महीने का समय ही चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार इनमें मुख्य तौर पर श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास शामिल हैं। कहते हैं योग निद्रा में जाने से पहले भगवान हरि संसार के संचालन का काम महादेव को सौंप कर जाते हैं। अगले चार महीने तक ये ज़िम्मेदारी भगवान शिव की होती है। हिंदू धर्म में चातुर्मास का अत्यंत महत्व होता है। तो आइए जानते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन का महत्व।

चातुर्मास का महत्व:

चातुर्मास के दौरान आमतौर पर कोई भी शुभ कार्य जैसे की शादी, गृह प्रवेश, दीक्षा लेना, आदि नहीं किए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान विष्णु के निद्रा में होने के कारण ऐसा माना जाता है कि अगर इस बीच कोई शुभ कार्य किया गया तो उसमें विष्णु जी का आशीर्वाद नहीं मिलता।
हालांकि इस समय अगर आप दान-पुण्य और पूजा-पाठ करते हैं तो ये शुभ माना जाता है। चातुर्मास में संसार का संचालन शिव जी करते हैं तो इन सब कार्यों से आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। अगर आप को शिव जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आपकी सभी मनोकामनाएं परिपूर्ण होती है।

चातुर्मास का आरंभ और समापन:

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 जुलाई, 2021 से शुरू हो रही है। इसी के साथ चातुर्मास का प्रारम्भ होगा और ये अगले चार महीने तक चलेगी। ठीक चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को चातुर्मास पूर्ण हो जाएगा। ये एकादशी तिथि 14 नवंबर, 2021 को पड़ रही है।

चातुर्मास में ये चीज़ें है निषेध:

अगर आप भगवान विष्णु की आराधना करते हैं तो चातुर्मास के दौरान आपको निम्न नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान कभी भी कांसे के बर्तन में खाना ना खाएं।
  • साथ ही ज़्यादा तेल-मसाले वाले भोजन या गुड़ का सेवन करने से भी बचें।
  •  इन चार महीनों में आपको मूली, बैंगन और परवल खाने से परहेज़ करना चाहिए।
  • चातुर्मास के बीच साधक को ना ही पलंग पर सोना चाहिए और ना ही कोई शारीरिक संबंध बनाना चाहिए।
  • गलती से भी इस दौरान मांस और मदिरा का सेवन ना करें।
  • चातुर्मास के दौरान किसी भी कारणवश किसी से झूठ ना बोलें।
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चातुर्मास में ये करना होता है शुभ:

चातुर्मास के दौरान को से चीज़ें नहीं करनी चाहिए इसपर तो हमने बात कर ली मगर कुछ चीज़ें ऐसी भी जिन्हें करना शुभ माना जाता है। आइए देखते हैं कौन सी हैं को चीज़ें।
  • चातुर्मास के दौरान रोज़ प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
  • हर दिन स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • भगवान विष्णु की पूजा के समय उन्हें फूल अर्पित करना और उन्हें मिठाई का भोग लगाना भी काफ़ी शुभ माना जाता है।
  • चातुर्मास के दौरान साधकों को ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दान-पुण्य के काम करना भी काफ़ी लाभदायक होता है।

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