Budh Pradosh Vrat 2022: बुध प्रदोष व्रत इन शुभ योगों के साथ होगा संपन्न आइये जानें प्रदोष व्रत की महिमा
प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए किया जाता है. कहा जाता है कि कोई भी भक्त प्रदोष व्रत को जो रखता है उन पर शिव की कृपा सदैव बनी रहती है. महादेव भक्तों से सदैव प्रसन्न रहते हैं. उन्हें सुखी जीवन का वरदान भी प्रदान करते हैं.
इस प्रदोष व्रत के द्वारा कृपा प्राप्त होती है भोलेनाथ की और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. अलग-अलग दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के लाभ और महत्व अलग-अलग हैं. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. वहीं रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष के दिन व्रत और पूजा करने से जीवन खुशियों से भर जाता है और लंबी उम्र का वरदान भी मिलता है.
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प्रदोष व्रत तिथि मुहूर्त
इस साल का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर दिन बुधवार को पड़ रहा है. यह आखिरी प्रदोष बेहद खास होने वाला है क्योंकि प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि भी है. मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.इसी के साथ सूर्य का सायन पक्ष अनुसार उत्तरायण समय भी आरंभ हो जाएगा.
बुध प्रदोष पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. शिवजी के साथ आप भी माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. पूजा स्थान को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लेना चाहिए. माता पार्वती और महादेव के चित्र या मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए. भगवान को फूल-माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, मिश्री शहद आदि अर्पित करना चाहिए. माता को लाल फूल अर्पित करने चाहिए तथा शृंगार सामग्री भी दे सकते हैं.
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प्रसाद के रूप में मिठाई का भोग लगा सकते हैं. आप भगवान को चने का भोग भी लगा सकते हैं. घी का दीपक जलाकर भगवान शिव के मंत्र का जाप करना चाहिए. शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए. प्रदोष व्रत कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए. शिवजी की आरती करनी चाहिए और भगवान से सुख-शांति की प्रार्थना करें. प्रदोष व्रत फलदायी हो सकता है. दूसरे दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
बुध प्रदोष व्रत का महत्व
चूंकि साल का आखिरी प्रदोष बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा. प्रदोष की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले शुरू की जाती है जो सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. इस दिन पूजा और व्रत करने से महादेव के अलावा देवी पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की कृपा भी प्राप्त होती है. ईश्वर की कृपा बरसती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है. साथ ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती
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