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Buddha Amritwani: बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है, गौतम बुद्ध की इस कहानी से सीखें जीवन में धैर्य का महत्व

Myjyotish Expert Updated 14 Mar 2023 03:59 PM IST
Buddha Amritwani: बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है, गौतम बुद्ध की इस कहानी से सीखें जीवन में धैर्य क
Buddha Amritwani: बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है, गौतम बुद्ध की इस कहानी से सीखें जीवन में धैर्य क - फोटो : google
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बुरे समय के बाद अच्छा समय आता है, गौतम बुद्ध की इस कहानी से सीखें जीवन में धैर्य का महत्व


जीवन में धैर्य जरूरी है. क्योंकि मनुष्य जीवन सब्र के बल से ही सबल और सफल होता है. धैर्य एक ऐसी शक्ति है, जिससे व्यक्ति की आत्मा मजबूत हो जाती है.  दरअसल धैर्य, धैर्य, संतोष या सहनशीलता एक ऐसा गुण है जो हर किसी में नहीं होता. धैर्यवान व्यक्ति वह है जो कठिन परिस्थितियों में भी शांत रहकर उस पर काबू पा लेता है या धैर्यपूर्वक सही समय आने की प्रतीक्षा करता है.

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लेकिन आजकल लोगों के बीच सब्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है. उनके पास कोई काम करने या कुछ भी हासिल करने का धैर्य नहीं है. बल्कि ये सब कुछ बहुत जल्दी चाहते हैं. लेकिन वे भूल जाते हैं कि जल्दबाजी में कोई चीज मिल भी जाए तो जीवन में उसका महत्व शून्य के बराबर होता है. जीवन में धैर्य का महत्व और धैर्य क्यों जरूरी है, यह जानने के लिए आपको गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी इस कहानी को जरूर जानना चाहिए.

धैर्य से जुड़ी गौतम बुद्ध की कहानी

गौतम बुद्ध एक बार अपने शिष्यों के साथ गाँव से शहर जा रहे थे. यात्रा के दौरान उन्हें और शिष्यों को थकान महसूस हुई. थकान दूर करने के लिए वे एक सरोवर के पास रुके और एक शिष्य से अपनी प्यास बुझाने के लिए सरोवर से जल लाने को कहा. शिष्य सरोवर पर मटके में पानी लेने गया. लेकिन जब वह सरोवर के पास पहुंचा तो उसने देखा कि एक बैलगाड़ी भी सरोवर के किनारे रुकी जिससे सारी मिट्टी पानी में घुल गई. झील गंदी हो गई. शिष्य सोचने लगा कि मैं अपने गुरु को पीने के लिए इतना दूषित और गंदा पानी कैसे ले सकता हूँ. इसलिए वह बिना पानी लिए खाली हाथ लौट आया.

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शिष्य ने गौतम बुद्ध से कहा- गुरुदेव! तालाब का पानी काफी गंदा है और पीने लायक नहीं . गौतम बुद्ध ने कहा ठीक है कोई बात नहीं, कुछ देर यहीं आराम कर लेते हैं.  आराम करने के बाद गौतम बुद्ध फिर उसी शिष्य को पानी लाने को कहते हैं. शिष्य फिर बर्तन लेकर सरोवर पर जाता है. लेकिन इस बार वह देखता है कि झील के पानी में कोई हलचल नहीं है और पानी भी पूरी तरह साफ और पीने योग्य है. जो मिट्टी पानी के ऊपर दिखाई देती थी वह भी अब झील के तल में बैठ गई है. शिष्य पात्र में जल भरकर गौतम बुद्ध के पास जाता है.

मटके में साफ पानी देखकर गौतम बुद्ध शिष्य से कहते हैं देखो कैसे मिट्टी भी अपनी जगह चली गई और सारा पानी साफ और पीने योग्य हो गया.  इससे यह सिद्ध होता है कि जीवन में कितना भी कठिन समय क्यों न आए, यदि हम उस कठिन समय के बीतने का थोड़ा इंतजार कर लें तो आने वाला समय अपने आप अच्छा हो जाता है. इसलिए जीवन में धैर्य जरूरी है. 
 
 

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