भुवनेश्वरी देवी 2022 : जानें भुवनेश्वरी जयंती का महत्व व पूजन विधि शुभ मुहूर्त
श्री भुवनेश्वरी शक्ति के मुख्य रुपों में से एक हैं. यह आदि शक्ति के रुप में विराजमान हैं. भुवनेश्वरी जयंती का पूजन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है. इस दिन के समय देवी का पूजन विशेष रुप से फलदायी होता है. श्री भुवनेश्वरी का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है, देवी प्रकृत्ति के संरक्षण एवं कल्याण हेतु मौजूद हैं. माता भुवनेश्वरी को सृष्टि के कल्याण की देवी के रुप में भुवनेश्वरी नाम प्राप्त हुआ है. माता के शक्ति रुपों में देवी का यह स्वरूप शुभता एवं शक्ति प्रदान करने वाला होता है.
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भुवनेश्वरी जयंती पूजन समय
मां भुवनेश्वरी शक्ति की आधार और प्राणियों की पालन-पोषण करने वाली हैं. मां भुवनेश्वरी जी की जयंती इस साल 7 सितंबर को मनाई जाएगी. देवी का रुप उज्ज्वल और मोहक होता है. चौदह भुवनों की स्वामी मां भुवनेश्वरी, दस महाविद्याओं में से एक मानी गई हैं. शक्ति सृष्टि के क्रम में महालक्ष्मी का रूप है. देवी का पूजन करने से धन एवं मान सम्मान की प्राप्ति होती है.
आर्थिक परेशानियों से मुक्ति हेतु देवी पूजन अत्यंत शुभदायक माना गया है. देवी के मस्तक पर चन्द्रमा स्थित है तथा तीनों लोकों की रक्षक और वरदान देने की मुद्रा धारण करने वाली हैं. मां भुवनेश्वरी, अंकुश पाशा और अभय मुद्रा में आशीर्वाद प्रदान करती हैं. अपने तेज से पूरी सृष्टि को प्रकाशित करती हैं.
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देवी पूजन से मिलता है सौभाग्य एवं सुख
मां भुवनेश्वरी की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, धन, धन और उत्तम शिक्षा की प्राप्ति होती है. इनके द्वारा ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है. इसकी पूजा से मान सम्मान मिलता है. मां भुवनेश्वरी ब्रह्मांड के ऐश्वर्य की स्वामी हैं. इसी में सचेतन अनुभव का आनंद निहित है. पूरी दुनिया की चेतना उनके अधीन आती है। गायत्री पूजा में भुवनेश्वरी जी की भावना निहित है. भुवनेश्वरी माता का एक मुख, चार हाथ, चार भुजाओं में गदा-शक्ति और दंड व्यवस्था का प्रतीक है. आशीर्वाद मुद्रा पालन करने की भावना का प्रतीक है, यह सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है.
भुवनेश्वरी पूजन विधि
देवी पूजन का समय प्रात:काल समय से ही आरंभ हो जाता है. पूजा में लाल रंग के फूल, नैवेद्य, चंदन, कुमकुम, रुद्राक्ष की माला, लाल रंग के वस्त्र आदि का प्रयोग करना शुभ होता है. मंदिर में लाल कपड़ा बिछाकर माता का चित्र स्थापित करके पंचोपचार और षोडशोपचार से पूजा करनी चाहिए. इस शुभ अवसर पर त्रैलोक्य मंगल कवचम, भुवनेश्वरी कवच, श्री भुवनेश्वरी स्तोत्र का पाठ करना सकारात्मक उर्जाओं में वृद्धि करने वाला होता है.
इस दिन जप, हवन, तर्पण के साथ-साथ ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन कराना उत्तम होता है. माता भुवनेश्वरी की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. देवी की भक्ति भक्त को निर्भयता प्रदान करती है.मोक्ष प्राप्ति होती है और भगवती की कृपा सदैव बनी रहती है.
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