Bhishma Panchak: जानें भीष्म पंचक क्यों होता है शुभ और कैसे देता है लाभ
इस साल भीष्म पंचक की शुरुआत 04 नवंबर से होने वाली है. कार्तिक माह में आने वाले ये पंचक बेहद ही शुभ माने जाते हैं, क्योंकि यह भीष्म पंचक सामान्य पंचक की तरह अशुभ नहीं होते हैं. इसमें व्रत, पूजा, स्नान और दान धर्म के कार्य करने का विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं कि भीष्म पंचक कैसे शुरू हुए और इसकी पूजन विधि क्या है और ये भी कि यह कैसे लाभ देता है.
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इस साल भीष्म पंचकी 04 नवंबर से शुरू होने जा रही है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनका समापन होगा. भीष्म पंचक सामान्य आने वाले पंचक की तरह अशुभ नहीं होता है. इस समय को व्रत, पूजन, स्नान और दान कार्य करने के लिए उत्तम माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार संपूर्ण कार्तिक माह का फल देने में यह पंचक सहायक होता है. इस समय पर व्रत एवं साधना का विशेष महत्व बताया गया है. आइए जानते हैं भीष्म पंचक की शुरुआत कैसे हुई और क्या है इसकी पूजा विधि.
पंचक को अनेक कार्यों में अच्छा नही माना जाता है. पंचक आने पर शुभ कार्यों पर रोक भी लग जाती है. लेकिन सभी पंचक अशुभ नहीं होते. सामान्य पंचक और भीष्म पंचक में बहुत बड़ा अंतर होता है. इस बार भीष्म पंचक 04 नवंबर से होने जा रहा है.
ज्योतिष शास्त्र में भीष्म पंचक को बहुत ही शुभ बताया गया है. भीष्म पंचक में व्रत और पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं. भीष्म पंचक का व्रत कार्तिक शुक्ल एकादशी से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलता है. कार्तिक पूर्णिमा पर दान-स्नान के बाद ही व्रत समाप्त होता है. कहा जाता है कि भीष्म पितामह ने भी इस दिन व्रत रखा था. तब से यह भीष्म पंचक के रूप में लोकप्रिय हो गया.
भीष्म पंचक की शुरुआत कैसे हुई?
महाभारत में पांडवों की जीत के बाद, भगवान कृष्ण पांडवों को भीष्म पितामह के पास ले गए. श्रीकृष्ण ने पितामह से पांडवों को ज्ञान देने को कहा. उस समय भीष्म पितामह शरशैय्या पर लेटे हुए थे. फिर भी उन्होंने कृष्ण के अनुरोध को स्वीकार किया और पांडवों को राज धर्म, वर्ण धर्म और मोक्ष धर्म का अमूल्य ज्ञान दिया. कहा जाता है कि एकादशी से पूर्णिमा तक पितामह का ज्ञान देने का यह सिलसिला लगातार चलता रहा.
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तब भगवान कृष्ण ने भीष्म से कहा कि आपने इन पांच दिनों में पांडवों को जो ज्ञान दिया है, उसने इस अवधि को बहुत शुभ बना दिया है. इसलिए आज से ये पांच दिन भीष्म पंचक के नाम से जाने जाएंगे.
भीष्म पंचक की पूजा विधि
भीष्म पंचक का व्रत करने वाले लोगों को एकादशी के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद निमित्त व्रत का संकल्प लेना चाहिए. वेदी बनाकर कलश की स्थापना करनी चाहिए ओर फिर "ऊं विष्णवे नमः" मंत्र का जाप करें और तिल और जौ का 108 प्रसाद चढ़ाकर हवन करना शुभ होता है. इसके बाद व्रत के प्रारंभ से अंत तक प्रतिदिन दीप प्रज्ज्वलित करना चाहिए.
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