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Bhadrapada month niyam : कब से शुरू  होने वाला है भाद्रपद मास, जानें इसके कुछ धार्मिक महत्व और जरूरी नियम

Myjyotish Expert Updated 13 Aug 2022 10:25 AM IST
कब से शुरू  होने वाला है भाद्रपद मास, जानें इसके कुछ धार्मिक महत्व और जरूरी नियम
कब से शुरू  होने वाला है भाद्रपद मास, जानें इसके कुछ धार्मिक महत्व और जरूरी नियम - फोटो : google photo
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कब से शुरू  होने वाला है भाद्रपद मास, जानें इसके कुछ धार्मिक महत्व और जरूरी नियम


भगवान शिव के प्रिय श्रावण मास के बाद गणपति उत्सव की धूम मचाने और कान्हा की भक्ति में भिगोने वाला भाद्रपद मास आखिर कब से शुरू होगा और क्या हैं इस माह से जुड़े जरूरी नियम, जानने के लिए पढ़ें ये लेख, सनातन परंपरा में भाद्रपद मास का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि इसी माह में भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव और गणेश उत्सव मनाया जाते है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद ,साल का छठवां महीना होता है, जो कि इस साल 13 अगस्त 2022 से प्रारंभ होकर 10 सितंबर तक चलेगा.

12 अगस्त 2022 को भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि प्रात:काल 07:05 बजे से प्रारंभ हो जाएगी. भक्ति में डूबे इस पावन मास में जप, तप, व्रत, दान और खान पान से जुड़े कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो  जाती है, अगर दूसरी जरा उस इन नियमों की अनदेखी की जाए तो व्यक्ति को पुण्य के बजाय पाप की प्राप्ति होती है. आइए भाद्रपद मास की जाने वाली पूजा से जुड़े जरूरी नियम जानते हैं

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भाद्रपद मास का महाउपाय

जिन लोगों को विवाह के लंबे समय बाद भी अब तक संतान सुख नहीं मिल सका है, उन्हें भाद्रपद मास में अपनी इस कामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. संतान सुख को पाने के लिए भाद्रपद मास में विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करें. मान्यता है कि यदि भाद्रपद मास से घर में लड्डू गोपाल को बिठाकर प्रतिदिन संतान गोपाल मंत्र का पाठ किया जाए तो शीघ्र ही कान्हा की कृपा से सूनी गोद भर जाती है.  याद रहे की  भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के इस उपाय में प्रसाद के साथ तुलसी दल अवश्य अर्पित करें

भाद्रपद मास से जुड़े जरूरी नियम

भाद्रपद मास में न सिर्फ प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए बल्कि सायंकाल भी ईश्वर की पूजा से पहले स्नान करना चाहिए.

भाद्रपद मास में ईश्वर की भक्ति और व्रत पूजन करते भूलकर भी किसी के लिए मन में गलत भावना नहीं लाना चाहिए, ना किसी की चुगली करनी चाहिए और न ही अपशब्द या झूठ बोलना चाहिए.

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भाद्रपद मास में पुण्य की प्राप्ति और पाप से मुक्ति पाने के लिए व्रत जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, तन और मन दोनों को ही शुद्ध रखें.

भाद्रपद मास में साधक को तामसिक चीजों का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए.

भाद्रपद मास में नए घर का निर्माण, गृह प्रवेश, विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

भाद्रपद मास में साधना करने वाले व्यक्ति को पलंग में नहीं सोना चाहिए बल्कि जमीन पर बिछौना डाल कर सोना चाहिए.भाद्रपद मास में व्यक्ति को गुड़, दही और इससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिएl

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