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भद्रकाली पूजा में इन मंत्र का जाप दिलाता है संकट से सुरक्षा
भद्रकाली जयंती की महिमा का उल्लेख 'पुराणों में किया गया है, तंत्र शास्त्र में देवी का विशेष स्थान भी है. मान्यता है कि माँ भद्रकाली की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. भद्रकाली मंत्रों का उल्लेख पुराणिक ग्रंथों तथा तंत्र शास्त्र में दिया गया है. देवी के मंत्र जाप करने से व्यक्ति के भीतर की शक्ति में विस्तार होता है तथा सोई हुई ऊर्जाएं भी प्रवाहित होने लगती हैं.
मंत्र जाप द्वारा ज्ञान, विद्या, शक्ति प्राप्त होती है नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का मार्ग सुलभ होता है. मंत्र शक्ति द्वारा सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है तथा जीवन में शुभता का आगमन होता है.
देवी भद्रकाली की भक्तिपूर्वक पूजा करने से किसी भी ग्रह दोष सहित सभी कुंडली समस्याओं का पूरी तरह से समाधान किया जा सकता है. एक लोकप्रिय मान्यता यह भी है कि पूजा करने से इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है. भारत के कुछ राज्यों में ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को 'भद्रकाली एकादशी' के रूप में भी मनाया जाता है. इसके अलावा जब यह घटना मंगलवार को आती है और 'रेवती' नक्षत्र के समय में होती है, तो यह और भी शुभ हो जाता है तथा इस समय भद्रकाली पूजन का महत्व और भी बढ़ जाता है.
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भद्रकाली, शक्ति और उग्रता का प्रतीक
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, देवी का स्त्री रूप भगवान शिव के उत्तर मुख से उत्पन्न हुआ था. इनका रंग नीला है और इनकी तीन आंखें हैं. कुछ गहरी तांत्रिक प्रभावित परंपराएं देवी भद्रकाली को महाकाल या भैरव के रूप में शिव की पत्नी मानती हैं. तंत्र ग्रंथ व्याख्या अनुसार शिव को चेतना के रूप में और काली को शक्ति या ऊर्जा के रूप में दर्शाता है. चेतना और ऊर्जा एक दूसरे पर निर्भर हैं, क्योंकि शिव शक्ति, या ऊर्जा पर निर्भर हैं, ताकि सृजन, संरक्षण और विनाश में उनकी भूमिका को पूरा किया जा सके.
भद्रकाली तांत्रिक महत्व
देवी भद्रकाली की पूजा भी मातृकाओं की तांत्रिक परंपरा और दस महाविद्याओं की परंपरा से जुड़ी है. यह शक्तिवाद है जो ऊर्जा के उत्सर्जन के साथ ही प्रकृति के स्म्तुलन में व्याप्त होता है. देवी भद्रकाली को हमेशा सबसे शक्तिशाली देवी माना गया है. देवी वर्णन में, भक्त देवी भद्रकाली के दो पक्षों को स्पष्ट रूप से चित्रित करने के की कोशिश की जाती है एक उदार पक्ष के साथ-साथ मजबूत, दूसरा उग्र पक्ष. भद्रकाली के पारंपरिक पूजा का पालन करते हुए, आज भी देवी अत्यंत भक्ति भाव के साथ पूजी जाती हैं.
भद्र काली मंत्र
भद्र काली मंत्र जाप के साथ साथ ही हवन इत्यादि भी करना शुभ होता है. मंत्र जाप के समय चित्त शुद्धि, स्थान शुचिता इत्यादि पर विशेष ध्यान देना चाहिए. पवित्र आसन पर विराजित होकर देवी के मंत्रों का जाप करना चाहिए. समस्त प्रकार की शुचिता को ध्यान में रखते हुए किया गया पूजन ही सर्वफल सिद्धिदायक होता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
भद्रकाली महाकाली किलिफत स्वाहा ।।
क्षुत्क्षामा कोटराक्षि मस्मिलिन मुखी मुक्तकेशी रुदनती
नाहं तृतीया वदन्ति जगदीखिलमिदं ग्रासमेकं करोमि ।
हस्ताभ्यां धार्यंती ज्वलदनल शिखापन्निभं पाश जोड़ीं
दन्तैजम्बुफलभै: परहरतु भभय पातु मांड भद्रकाली
विंशाक्षर मंत्र
क्रिं क्रीं क्रींबॉ हन्नी हन्नीं भद्राकाल्यै क्रिंक्रीं क्रीं क्रीं हन्नीं हंनी स्वाहा ।
ऐं हन्नी ऐं येहिजन्मातर्जगतं जननि होम्न बलिं सिद्धि देहि देहि शत्रु क्षतं कुरु कुरुख हंनीं हनीं फट् काएै नमः फट् स्वाहा
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