संतान की प्राप्ति के लिए रखा जाता है बहुला चतुर्थी व्रत, जानें पूजा मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी जिसे दक्षिण भारतीय राज्यों में संकटहारा चतुर्थी भी कहा जाता है. 15 अगस्त को
संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. इस चतुर्थी को बहुला चतुर्थी इत्यादि कई नामों से भी पुकारा जाता है. हिंदू पंचांग अनुसार कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन श्री गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.
संकष्टी चतुर्थी का उत्सव भारत के उत्तरी और दक्षिणी सभी स्थानों में बहुत प्रचलित है. महाराष्ट्र राज्य में, इसकी रौनक देखते ही बनती है. भगवान गणेश का दिन होने के कारण इस शुभ दिन पर भक्त जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने और हर कठिन परिस्थिति में विजयी होने में मदद करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं.
संकष्टी चतुर्थी तिथि पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि का समय 14 अगस्त, 10:36 अपराह्न - 15 अगस्त, 09:02 अपराह्न पर होगा. भगवान गणेश को समृद्धि, सौभाग्य और शुभता के देव के रूप में पूजा जाता है.
संकष्टी चतुर्थी विधान
संकष्टी चतुर्थी के दिन, भक्त जल्दी उठते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं. भक्त श्री गणेश के सम्मान में कठोर उपवास भी रखते हैं, तो कुछ लोग आंशिक उपवास भी रख सकते हैं. इस व्रत का पालन करने वाला केवल फलाहार को ग्रहण करते हैं. इस दिन मुख्य भारतीय आहार में मूंगफली, आलू और साबूदाना खिचड़ी भी शामिल करते हैं.
संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत चंद्र पूजा
संकष्टी पूजा शाम को चंद्रमा को देखने के बाद की जाती है. भगवान गणेश की मूर्ति को दूर्वा घास और फूलों से सजाया जाता है. इस दौरान दीया भी जलाया जाता है और वैदिक मंत्रों का पाठ भी किया जाता है. इसके बाद विशिष्ट व्रत कथा का पाठ किया जाता है. संध्या समय को भगवान श्री गणेश की पूजा करने और चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोला जाता है.
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मोदक और भगवान गणेश के अन्य पसंदीदा भोग से युक्त विशेष नैवेद्य प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है. इसके बाद आरती होती है और बाद में सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरित किया जाता है.संकष्टी चतुर्थी के दिन, विशेष पूजा चंद्रमा को समर्पित होती है. इसमें चंद्र देव का ध्यान करते हुए जल, चंदन का लेप, पवित्र चावल और फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन गणेश जी के निमित्त गणेश अष्टोत्र, संकष्टनाशन स्तोत्र इत्यादि का पाठ करना शुभ होता है.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. चतुर्थी के दिन श्री गणेश की भक्ति के साथ प्रार्थना करने से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंती हैं. जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है. निःसंतान दंपत्ति भी संतान प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत करते हैं.
चूंकि संकष्टी चतुर्थी हर चंद्र महीने में मनाई जाती है, इसलिए प्रत्येक महीने में भगवान गणेश की पूजा अलग-अलग नामों से की जाती है. हर व्रत का एक विशिष्ट उद्देश्य और महत्व होता है. इस व्रत में से प्रत्येक की कहानी हर महीने के लिए अनूठी है और उस महीने में ही इसका पाठ किया जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस पवित्र दिन पर भगवान शिव ने विष्णु, लक्ष्मी और पार्वती को छोड़कर अन्य देवताओं पर अपने पुत्र गणेश को स्थान प्रदान किया था. तब से, भगवान संकष्टी को समृद्धि, सौभाग्य और स्वतंत्रता के देवता के रूप में पूजा जाता है. ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश अपने सभी भक्तों को अपना शुभाशीष प्रदा करते हैं. संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व भगवान कृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को बताया था.
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