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भगवान विष्णु को अतिप्रिय है आषाढ़ महीना , इसी माह में योग निद्रा के लिए चले जाते है नारायण , जानिए इसका महत्व
आषाढ़ का महीना आज से शुरू हो चुका है। आषाढ़ महीना अपने साथ कई महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत लाते है। इस महीने में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीना चौथा महीना माना जाता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ का महीना 15 जून से शुरू और 13 जुलाई को खत्म हो रहा है। इसके समाप्ति के बाद सावन शुरू हो जाएगा। आषाढ़ के महीने में ही देवशयनी एकादशी व्रत आता है। आषाढ़ महीने के पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बीच रहता है।इसलिए इस महीने को आषाढ़ के नाम से जाना जाता है।
पुराणिक कथाओं के अनुसार आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते है। भगवान विष्णु की निद्रा में जाने की वजह से हर जगह हाहाकार मचा रहता है। इस समय पृथ्वी की उरर्वक क्षमता कम हो जाती है। बताया जाता है की हम अन्न को भगवान विष्णु का रूप मानकर पूजते है। नारायण की उपासना करते हैं की वो निद्रा से जल्दी बाहर आकर सब सही कर दे। अगर सच्चे मन से पूजा पाठ करें तो जो मांगो वो पूरा हो जाता है।आषाढ़ अमावस्या भी बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि इस समय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। आषाढ़ महीना में दान पुण्य का काम करे,अपनी क्षमता के अनुसार से। आइए जानते है की क्यों भगवान विष्णु को प्रिय हैं आषाढ़ का महीना और भी कुछ बातें।
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किसानों के लिए महत्वपूर्ण हैं ये महीना
आषाढ़ महीना आगमन के साथ ही प्रकृति का रंग ही बदल देता है। ये महीना आते ही बता देता है की वर्षा ऋतु प्रारंभ हो चुका। इस तपती गर्मी में बारिश का होना प्रकृति को सौंदर्य देता है। ये महीना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हो क्योंकि इस महीने में फसल की कटाई होती है। कही कही कुछ चीजों को बोआई भी होती है। इस महीने में व्यक्ति नारायण की पूजा करते है और उनसे प्रार्थना करते है वर्षा सही मात्रा में हो ना बहुत ज्यादा की फसल खराब हो जाए और ना ही कम की फसल खराब हो जाए। आषाढ़ के महीने में जब नारायण निद्रा शयन में जाते है तब पृथ्वी की बाग डोर भगवान शिव के हाथों में होता है। तब तक सावन ही शुरू हो जाता है। तब हर जगह महादेव की महिमा का गुढ़गान सुनाई देता हैं।
भगवान विष्णु को प्रिय हैं ये महीना
इस महीने में भगवान विष्णु को शयन का समय मिलता है। क्योंकि इसके पहले वो धरती में उलझे रहते है। आषाढ़ ही वो ऐसा महीना है जिसमें नारायण को विश्राम (निद्रा) का समय मिलता है।आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उनसे प्रार्थना करे की सब सही हो। इस माह में नारायण की अधिक से अधिक मंत्रों का जाप , स्तुति किया जाता है। मान्यता है की इस महीने जो भी नारायण से अपनी कामना को लेकर सच्चे मन से पूजा करें तो उसको मनवांछित फल मिलता है।
दान पुण्य का विशेष महत्व
दान पुण्य की बात करें तो आप अपनी क्षमता से कभी भी दे सकते है। दान पुण्य करने का कोई दिन नहीं होता है। लेकिन आषाढ़ के महीने में दान करना कई गुना फलदाई होता है। इस महीने में छाता, नमक, तांबा, कासा आंवला, गुड़, चावल, गेहूं, मिट्टी का बर्तन इत्यादि दान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है।
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देवशयनी एकादशी पर सोने चले जाते हैं नारायण
मान्यता है की इस महीने में सभी देव सो जाते हैं। इस माह में देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी होता है। इस महीने में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है। इसके बाद नारायण कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते है।कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी व्रत भी कहा जाता हैं। इस चार महीनों में आप दान पुण्य करें , लेकिन कोई मांगलिक कार्य नहीं होता।
पितृ कर्म के लिए पुण्यदाई है आषाढ़ अमावस्या
हिंदू धर्म में आषाढ़ का महीना पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। क्योंकि इसी महीने में चतुर्मास भी लग जाता है और चतुर्मास में तर्पण का विशेष महत्व है।
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