विज्ञापन
विज्ञापन
जानें आषाढ़ माह से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें और व्रत त्योहार
आषाढ़ का महीना हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना है, यह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू पंचांग के अनुसार आरंभ होता है. यह पूजा उपासना एवं धर्म कार्यों के लिए अनुकूल समय होता है. यह बहुत ही विशेष समय होता है क्योंकि इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं. आषाढ़ के महीने में महत्वपूर्ण दिनों में देवशयनी एकादशी, योगिनी एकादशी, मिथुन संक्रांति, संकष्टी चतुर्थी, अमावस्या, पूर्णिमा, प्रदोष व्रत, गुरु पूर्णिमा, जगन्नाथ रथ यात्रा और गुप्त नवरात्रि शामिल होते हैं.
हिंदू महाकाव्यों के अनुसार, भगवान विष्णु इस अवधि के दौरान योग निद्रा में चले जाते हैं और जो भक्त उपवास रखते हैं उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इसी महीने से चातुर्मास्य शुरू हो जाता है और चार महीने की इस अवधि के दौरान सभी देवता शयन में चले जाते हैं. इसलिए, हिंदू परंपराओं के अनुसार चातुर्मास्य के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. यहां सभी त्योहारों और व्रतों की तिथियां दी गई हैं ताकि आप किसी भी महत्वपूर्ण व्रत को भूलें नहीं
समस्या आपकी समाधान हमारा, आज ही बात करें देश के प्रसिद्ध ज्योतिषियों से
17 जून, शुक्रवार, कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी
20 जून, सोमवार, कालाष्टमी व्रत, मासिक जन्माष्टमी
21 जून, मंगलवार, दक्षिणायन आरंभ
24 जून शुक्रवार, योगिनी एकादशी
26 जून, रविवार, प्रदोष व्रत
27 जून, सोमवार, मासिक शिवरात्रि
29 जून, बुधवार, आषाढ़ अमावस्या
30 जून, गुरुवार, गुप्त नवरात्रि की शुरुआत, चंद्र दर्शन
01 जुलाई, शुक्रवार, पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा
03 जुलाई, रविवार, विनायक चतुर्थी व्रत
04 जुलाई, सोमवार, स्कंद षष्ठी
09 जुलाई, मंगलवार, गौरी व्रत
10 जुलाई, रविवार, देवशयनी एकादशी, वासुदेव द्वादशी, चातुर्मास्य व्रत की शुरुआत
11 जुलाई, सोमवार, सोम प्रदोष व्रत
12 जुलाई, मंगलवार, जयपार्वती व्रत
13 जुलाई, बुधवार, गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा
आषाढ़ मास का महत्व
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
आषाढ़ मास को वर्ष का चतुर्थ मास माना जाता है. आषाढ़ महीने में मुख्य महत्व में से एक वर्षा की शुरुआत है, क्योंकि भारत में इस महीने मानसून का मौसम होता है. कुछ मान्यताओं के कारण आषाढ़ मास को शून्य मास के रूप में भी मान्यता दी गई है. आषाढ़ मास दक्षिणायन की शुरुआत है और इस दौरान भक्तों को सप्तमातृक शक्ति देवी, भगवान भैरव, भगवान नरसिंह, महिषासुर की पूजा करना उत्तम होता है. इस महीने में लड़कियां हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं, इस मान्यता के पीछे का कारण यह है कि मौसमी बदलाव के कारण त्वचा रोग होने की संभावना बनी रहती है। उस समय मेहंदी त्वचा की इन समस्याओं से बचने में मदद करती है.
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, इस महीने में बच्चे को गर्भ धारण करना अच्छा नहीं है, क्योंकि, इस महीने में प्रसव के समय, उसे और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, यह महीने को सबसे गर्म अवधि माना जाता है और यह माँ और नवजात शिशु को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन इस मान्यता के पीछे एक सच्चाई यह है कि ये मान्यताएं मानव निर्मित हैं। इसलिए, मनुष्य परिवर्तन करता है, यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है. चातुर्मास व्रत आषाढ़ मास में शुरू होता है अत: इस समय को चातुर्मास के आगमन से भी जोड़ा जाता है. आषाढ़ मास में मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा एक अत्यंत ही विशेष समय होता है जो
ये भी पढ़ें
- Bada Mangal: ज्येष्ठ माह के चौथा मंगल पर, जानें हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय
- Vastu Remedies: जानें घर में मौजूद किन वस्तुओं के कारण करना पड़ता है अनेक परेशानियों का सामना
- Name Astrology: इन चार अक्षरों के नाम वाले लोगों के पास होता है खूब पैसा
- Shani ki Mahadasha: जानें क्या हैं वह संकेत जो करते है शनि की महादशा की और इशारा
- Sunderkand Path: सुंदरकांड पाठ करने की विधि, नियम लाभ, टोटके ओर आवाहन और आरती
- Magh Purnima 2022 : माघ पूर्णिमा, सुख एवं सौभाग्य प्राप्त करने की पूर्णिमा