Annapurna Jayanti 2022: अन्नपूर्णा जयंती में जानें क्या करें और क्या न करें इस दिन
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि का दिन कई विशेष धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम समय माना गया है.इस दिन पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है देवी का पूजन जीवन में अन्न धन को प्रदान करने वाला होता है. देवी अन्नपूर्णा माता समस्त प्राणियों की क्षुद्धा को शांत करने हेतु पृथ्वी पर अवतरित होती हैं.
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देवी अन्नपूर्णा को माता पार्वती का अवतार माना जाता है. इस दिन भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ माता पार्वती की पूजा करते हैं, माना जाता है कि ऐसा करने से उनके जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है.
अन्नपूर्णा जयंती हर साल कैलेंडर के नौवें महीने मार्गशीर्ष माह अर्थात अगहन माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस वर्ष अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर को शुभ मुहूर्त में मनाई जाएगी. माता अन्नपूर्णा को माता पार्वती का रूप माना जाता है इसलिए इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा, आस्था और सच्ची श्रद्धा से देवी पार्वती की पूजा करता है, उसके जीवन में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है. मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए इस दिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है. जो इस प्रकार हैं.
अन्नपूर्णा जयंती महत्व और विशेषता
अन्नपूर्णा जयंती का दिन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसे में इस दिन किचन को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें. चूंकि इस दिन अन्नपूर्णा देवी हैं, जो हमें अन्न से परिपूर्ण रखती हैं, इसलिए इस दिन उनके आशीर्वाद से जुड़ी वस्तुओं जैसे चूल्हा, चूल्हा, गैस आदि की पूजा करते हैं.
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साथ ही यह भी माना जाता है कि अन्नपूर्णा जयंती पर अन्न का दान देवी अन्नपूर्णा को प्रसन्न करते हैं. इस दिन लाल, पीले और सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. अन्नपूर्णा माता की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में और शाम को ही करनी चाहिए.
अन्नपूर्णा जयंती कार्य
पूजा में कभी भी अन्नपूर्णा देवी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए. वहीं अन्नपूर्णा जयंती के दिन किसी भी कीमत पर रसोई भोजनाल्य इत्यादि को गंदा नही रहने देना चाहिए. इसके अलावा अन्नपूर्णा जयंती के दिन किसी भी हालत में अन्न की बर्बादी नहीं करनी चाहिए. वहीं अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोई घर में मांस-मछली या तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए, ऐसा माना जाता है कि भूल से भी माता क्रोधित होकर दरिद्रता प्रदान करती हैं.
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