Annakut 2022: जानें क्या है अन्नकूट, भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाया जाता है अन्नकूट का भोग
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. अन्न कूट जो एक विशेष प्रसाद होता है गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट के रुप में बनाया जाता है. अन्न कूट का प्रसाद बनाकर श्रीकृष्ण को चढ़ाया जाता है.
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इस भोग को कई सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है, इस प्रसाद का विशेष महत्व है. इस वर्ष अन्न कूट पूजा दिवाली के दूसरे दिन नहीं हो रही है क्योंकि सूर्य ग्रहण है. ऐसे में यह पर्व दिवाली के तीसरे दिन यानी 26 अक्टूबर को मनाया जा रहा है.
इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और गोवर्धन पर्वत की कथा का स्मरण किया जाता है कि कैसे कृष्ण ने व्रजवासियों की रक्षा की. आइए जानते हैं कि अन्न कूट होता क्या और इसमें किन सब्जियों का उपयोग किया जाता है.
अन्न कूट भोग
अन्न कूट बनाने में कई तरह की सब्जियों को शामिल किया जाता है. अन्नकूट में वैसे तो इस दिन सिर्फ सब्जियां ही नहीं बल्कि करी, चावल और कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, लेकिन अन्नकूट प्रसाद बेहद खास होता है. इसे बनाने में कई तरह की सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है. आलू, अरबी, बैंगन, मूली, टमाटर, कच्चा केला, बीन्स, फलियां, पत्ता गोभी, मटर, गाजर और देसी साग, मसाले, खड़ी मसाले, अदरक का पेस्ट उपयोग किया जाता है. इस प्रसाद को विशेष रुप से तैयार करते हैं जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांटा जाता है.
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अन्नकूट पूजा परंपरा
दिवाली के अगले दिन, गोवर्धन पूजा जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है. इस पूजा की परंपरा को श्री कृष्ण से जोड़ा जाता है. अत्यंत प्राचीन कल से चली आ रही ये पूजा आज भी अपने मजबूत रुप में उपस्थित है. गोवर्धन पूजा में अन्नकूट बनाना शामिल है और गोवर्धन की आकृति बनाने के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है. गोवर्धन पूजा बिना परिक्रमा के अधूरी मानी जाती है.
अन्नकूट पूजा महत्व
अन्नकूट पूजन का उत्साह वैसे तो सारे भारत में ही देखने को मिलता है, लेकिन मथुरा एवं उसके आस पास के क्षेत्रों में इस पर्व की विशेष महत्ता रही है. कथाओं के अनुसार इस दिन प्रक्रति के पूजन की विशेषता को भगवान श्री कृष्ण ने सभी के समक्ष प्रस्तुत किया था तथा इस दिन इंद्र देव को भगवान कृष्ण ने हराया था.
कथा अनुसार जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करने को कहा तो भगवान इंद्र क्रोधित हो गए. इसके बाद इंद्र ने अपने क्रोध में ऐसी मूसलाधार वर्षा की कि ब्रजवासियों का जीवन संकटमय हो गया. तब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों और पशुओं की रक्षा के लिए अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया.
सभी ने इस पर्वत के नीचे सात दिनों तक शरण ली. यही कारण है कि गोवर्धन पूजा के दौरान लोग इस पर्वत को गाय के गोबर से बनाते हैं और इसकी सात बार परिक्रमा करते हैं. इसके बाद अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है.
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