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अनंत चतुर्दशी : भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरुप की पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट

Myjyotish Expert Updated 09 Sep 2022 10:49 AM IST
अनंत चतुर्दशी : भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरुप की पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट
अनंत चतुर्दशी : भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरुप की पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट - फोटो : google
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अनंत चतुर्दशी : भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरुप की पूजा से दूर होते हैं सभी कष्ट 

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन अनंत भगवान जिन्हें श्री विष्णु का स्वरुप माना जाता है इनकी पूजा करने का विधान है. इस दिन पर हाथों में एक अनंत धागा बांधा जाता है जो कपास या रेशम का बना हो सकता है और इनमें चौदह गांठें होती हैं. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है, इसलिए इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाता है. यह त्यौहार भारत के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान कई जगहों पर धार्मिक झांकियां निकाली जाती हैं तथा भक्त उत्साह के साथ इस पर्व को संपन्न करते हैं. 

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इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर को मनाई जाएगी. अनंत चतुर्दशी वह दिन है जब भगवान गणेश वापस कैलाश पर्वत की यात्रा करते हैं. अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमाओं को विसर्जित कर दिया जाता है और इसके साथ ही दस दिवसीय गणपति उत्सव समाप्त हो जाता है. इस दिन हिंदुओं द्वारा भगवान विष्णु के अनंत रूप सत्यनारायण की भी पूजा की जाती है.

इस दिन से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं, खासकर महाभारत में. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अनंत चतुर्दशी के दिन पांडव राजा युधिष्ठिर से उपवास करने को कहा था. ऐसा माना जाता है कि कौरवों के खिलाफ पांडवों ने व्रत रखने के कारण युद्ध जीता था. अनंत चतुर्दशी के रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार, जो भक्त इस दिन उपवास करता है, उसे भगवान गणेश और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

अनंत चतुर्दशी पूजन विधान 
अनंत चतुर्दशी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और अपने दैनिक कार्यों को पूरा करना चाहिए. उसके बाद, भक्तों को घर के पूर्व दिशा में लाल कपड़े पर पीतल का कलश रखना चाहिए. इसमें पानी, दूध और सुपारी शामिल होनी चाहिए. कलश पर अशोक के पत्ते और नारियल भी रखना चाहिए. पीतल के इस कलश को अनंत कलश के नाम से जाना जाता है. अनंत कलश पर कुमकुम, केसर और हल्दी रखें. भक्तों को 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी तैयार करना होता है.

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अनंत सूत्र और अनंत कलश के चारों ओर दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए. इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा एवं पूजन भी करना चाहिए. घर में बना भोग भगवान को अर्पित करना चाहिए. भोग में गुड़ मिलाना चाहिए. सत्यनारायण से प्रार्थना करते हुए गाय को भोग खिलाना चाहिए. यह अनुष्ठान करते समय अपनी कलाई पर अनंत सूत्र पहनना चाहिए. अनंत चतुर्दशी का पर्व सभी प्रकार के कष्टों को समाप्त करता है. पारिवारिक विवादों, बीमारियों और वित्तीय समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अनंत चतुर्दशी का पूजन अत्यंत ही उत्तम माना जाता है. 

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