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अमरत्व का रहस्य बताने से पहले शिव जी ने किया था इन चार प्रिय चीजों का त्याग, वो स्थान हैं इस धाम के खास पड़ाव
अमरनाथ में श्रद्धालुओं के भीड़ शुरू हो गए है।पिछले दो साल से प्राकृतिक आपदा की वजह से अमरनाथ यात्रा बंद था। अमरनाथ यात्रा हिंदुओं का प्रमुख स्थल माना जाता हैं। यह कश्मीर राज्य के श्री नगर शहर के उत्तर पूर्व में स्थित हैं।इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हुआ है और 11 अगस्त तक यात्रा चलेगी।अमरनाथ यात्रा भक्तों के लिए बहुत कठिन यात्रा मानी जाती है। अमरनाथ यात्रा कुल मिलाकर 43 दिन तक चलेगा।बताया जा रहा है कि इस साल अमरनाथ में श्रद्धालुओं की लगभग सात से आठ लाख तक भीड़ उमड़ेगी। यात्रा करते समय जगह जगह पर सेवा कैंप लगाए गए है। अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से शुरू होगा। पहला मार्ग दक्षिण कश्मीर के पहलगाम की पहाड़ी से पहलगाम की पहाड़ी से दूसरा मध्य कश्मीर का गांदरबल शामिल हैं।यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए अधिकारियों के बीच त्रिस्तरीय बैठक भी हुई।
कहा जाता है की शिव जी ने इस गुफा में बैठकर माता पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई थी। इस कथा को सुनाने के लिए शिव जी को एकांत चाहिए था जिससे वो अपनी सारी प्रिय चीजे छोड़ दिए ताकि ये कथा कोई और ना सुन सके।क्योंकि ये कथा सुनने के बाद कोई भी अमर हो जाता है। उसके बाद भगवान शिव और माता गौरी ने गुफा में प्रवेश किया और कथा सुना। कहा जाता है की भगवान ने जो प्रिय चीजें छोड़ कर आगे बड़ा वो स्थान पहलगाम,चंदन बाड़ी, शेष नाग झील, महागुणस पर्वत
आइए इन जगहों के बारे में कुछ बाते जानते है।
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पहलगाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव जी को जब माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनानी थी तो शिव जी ने अपनी सारी प्रिय चीजे कही न कही छोड़ दी थी।पहलगाम स्थान पर उन्होंने अपने सबसे प्रिय चीज़ नंदी को छोड़ दिया। और यहां से आगे बढ़ गए। पहलगाम अमरनाथ की पवित्र गुफा वार्षिक तीर्थयात्रा का बिंदु माना जाता है। इसी स्थान से अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है।
चंदन बाड़ी
चंदन बाड़ी स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है। बताया जाता है जब भगवान शिव ने नंदी को छोड़ा तब वह आगे चलकर अपने चंद्रमा को चंदन बाड़ी स्थान पर छोड़ दिया। मान्यता है की इस स्थान पर उन्होंने अपने शरीर का भभूत और चंदन को भी यहीं छोड़ कर आगे बड़े। इस स्थान पर जब श्रद्धालु आते है तो यहां की मिट्टी को अपने मस्तक पर लगाकर भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करते है।
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शेषनाग झील
यहां के नाम से ही पता चलता है की भगवान शिव ने यहां पर अपने शेष नाग को छोड़ा था। इस स्थान को शेषनाग के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस स्थान पर हमेशा शेष नाग का वास होता है। यहां के झील का जो स्वरूप है वह शेष नाग के आकार है। जैसे मानो उसमे स्वयं विराजमान हो।
महागुणस पर्वत
इन तीनों पड़ाव के बाद महागुणस पर्वत आता है। यह पर भगवान शिव जी ने अपने प्रिय पुत्र श्री गणेश को छोड़ दिया। इसलिए इस स्थान को गणेश टॉप के भी नाम से जाना जाता है। बताया जाता है की ये स्थान बहुत ही सुंदर और पवित्र दिखाई देता हैं। ये स्थान श्रद्धालियों को अत्यंत सुकून देता है। इस स्थान को महागणेश पर्वत भी कहा जाता है।
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