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आमलकी एकादशी व्रत: कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न, जानिए क्या है इसका महत्व

My Jyotish Expert Updated 06 Mar 2020 11:57 AM IST
Amalaki Ekadashi fast: how to please Lord Vishnu, know what is its importance
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मोक्षदायनी एकादशी का दिन हर माह में दो बार आता है। लेकिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। क्योंकि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। ताकि व्यक्ति अपने इस मानव जन्म में मोक्ष को प्राप्त कर सके। इसीलिए आमलकी एकादशी का व्रत रखना शुभ होता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा अवश्य की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करना चाहिए। इसके साथ दोपहर 12 बजे से द्वादशी तिथि भी शुरू हो रही है इसी कारण इस दिन नरसिंह द्वादशी भी मनायी जाएगी।



क्यों की जाती है आंवले के वृक्ष की पूजा
शास्त्रों के अनुसार, आमलकी एकादशी के दिन आवंले के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन इस वृक्ष का खास महत्व होता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु का यह प्रिय फल है और इसकी इस धरती पर उत्पत्ति भी विष्णुजी के द्वारा ही हुई थी। इसमें विष्णुजी का निवास होता है। हमारे शास्त्रों, वेदों और पुराणों में मोक्ष की प्राप्ति के लिए यह दिन बहुत शुभ और पवित्र माना गया है। महाभारत काल के समय भी पितामह भीष्म ने एकादशी के शुभ दिन की बहुत लंबे समय तक प्रतीक्षा की थी। जिसके बाद ही पितामह ने अपने प्राणों का त्याग किया था।

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आमलकी एकादशी व्रत और पूजा विधि
इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को दशमी की रात में विष्णुजी का पूरे मनन के बाद शयन करना चाहिए। अगले दिन प्रात:काल में स्नान करके विष्णुजी की मूर्ति के पास कुश, तिल, मुद्रा व गंगाजल लेकर व्रत का प्रण (संकल्प) लें। आंवले के वृक्ष की पूजा करते समय विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी का भी स्मरण अवश्य करें। इसके लिए वृक्ष के नीचे की भूमि को सही से साफ कर लें। उस स्थान में गंगाजल छिड़कर उसे शुद्ध कर लें। वृक्ष के तने में वेदी बनाएं और साथ में उस पर कलश स्थापित करें। इस दिन रात को पूर्ण भक्ति से भागवत कथा और भजन-कीर्तन करें। द्वादशी के दिन सुबह नहाने के बाद भगवान विष्णु को भोग आदि लगाकर उनकी आराधना करें। जिसके बाद ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन खिलाएं। आपसे जितना हो सके दान भी करना चाहिए।

व्रत का पारण कब और कैसे करें
अगले दिन (7 मार्च) को व्रत तोड़ने का शुभ समय सुबह 06 बजकर 40 मिनट तक
द्वादशी समाप्त होने का मुहूर्त सुबह 09 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
आमलकी एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।
एक बात का विशेष ध्यान रखें, कि हरि वासर में पारण नहीं करना है। जो व्यक्ति व्रत रख रहें हैं वे सभी हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करें। क्योंकि हरि वासर द्वादशी की पहली एक चौथाई अवधि है। इसलिए व्रत सुबह के समय ही तोड़ना शुभ रहता है।

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