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मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा: मिलेगी हर कार्य में सफलता, जानिए इसका महत्व और पूजाविधि

My Jyotish Expert Updated 03 Mar 2020 01:08 PM IST
Durga Ashtami Puja: You will get success in every work, know its importance and worship method
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मां दुर्गा के भक्तों के लिए यह एक खास त्यौहार माना जाता है। हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। क्योंकि यह त्यौहार हर माह में मनाया जाता है, इसलिए इसे मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं। खास बात यह है कि इस दिन मां के मंदिर में भक्तों की बहुत भीड़ होती है क्योंकि भक्त बड़ी संख्या में मां दुर्गा का आशीर्वाद लेनेके लिए आते हैं। ये व्रत पूर्णत: मां दुर्गा को समर्पित है। इस बार मंगलवार के दिन (3 मार्च, 2020) को दुर्गाष्टमी का व्रत व पूजा होगी। मुख्य दुर्गाष्टमी जिसे ‘महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन माह में नौ दिन के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान आती है।



दुर्गा अष्टमी पूजा का क्या है महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन की जाने वाली पूजा और व्रत का बहुत ही खास महत्व है। इस दिन यदि कोई भक्त पूरी श्रद्धा व सच्चे दिल से मां से कुछ मांगता है, तो उसकी वह मनोकामना अवश्य पूरी होती है। देवी मां अपने भक्तों की मुरादें जरूर पूरा करती हैं। दुर्गाष्टमी का विशेष त्यौहार हर माह आता है, इस मौके पर भक्तों में इसका उत्साह देखने लायक होता है। यदि बात की जाये ‘महाअष्टमी’  त्यौहार की, तो वह अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि के दिनों में आती है। जिसकी अपने आप में बेहद खास रौनक देखी जाती है।

मां दुर्गा की पौराणिक कथा व पराक्रम

मां दुर्गा का पराक्रम और साहस कौन नहीं जानता है। पराक्रम व साहस के बिना किसी भी मनुष्य का का अस्तित्व नहीं हो सकता। मां दुर्गा देवी के रूप में मनुष्य को भी इस बात की सीख देती है कि हमें अपने जीवन में अपने बाहुबल और पराक्रम को कभी नहीं भूलना चाहिए। सभी परिस्थितियों में खुद को मजबूत बनाए रखना चाहिए।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार महिषासुर नाम का बहुत बलशाली राक्षस था। वह राक्षस, देवताओं को मार रहा था, इसलिए सभी देवता उससे बहुत डरे हुए थे। उससे बचने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा से प्रार्थना की, कि वे उस राक्षस का संहार करके उनके प्राणों की रक्षा करें। तब महिषासुर का वध करने के लिए मां दुर्गा ने प्रतिज्ञा की। मां दुर्गा का जन्म त्रिदेवों ने मिलकर किया था। इसलिए मां दुर्गा ने अपना दिव्य व विशाल रूप धारण करके महिषासुर का अंत किया। दुर्गा मां ऐसा करके न्याय व शांति का संदेश दिया और सभी देवी-देवताओं को उसके भय से मुक्ति दिलाई। जिसके बाद मासिक दुर्गाष्टमी मनायी जाने लगी।

दुर्गाष्टमी का व्रत और इसकी पूजाविधि

मां दुर्गा की पूजा और व्रत अष्टमी वाले दिन करने का बहुत महत्व माना जाता है। यदि इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा से व्रत रखे, तो मां दुर्गा के आशीर्वाद से उसकी हर मुराद पूरी होती है। जानते हैं पूजाविधि क्या है-

सबसे पहले प्रात:काल में जल्दी उठकर घर व पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए। उसके बाद स्नान करके पूजा वाले स्थान को गंगाजल छिड़कर उसे पवित्र करना चाहिए। फिर एक लकड़ी के पाट को बिछाकर उसे लाल कपड़े से सुसज्जित करें। अब उस पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। उसके बाद दुर्गा माता को अक्षत, सिंदूर और उनके चरणों में लाल पुष्प चढ़ाएं । दीया और धूपबत्ती जलाकर मां की आरती करें, और सच्चे मन से प्रार्थना करते हुए मां दुर्गा से अपने लिए शक्ति, साहस व वर मांगे। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने का विशेष महत्व होता है। प्रसाद के रूप में आप फल व मीठे का भोग लगा सकते हैं। पूरे दिन व्रत रहने के बाद दूसरे दिन व्रत खोलें।

ऐसा करने से मां दुर्गा अपने भक्तों से प्रसन्न होती हैं। और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। आपके ऊपर आने वाले कष्टों को दूर करेंगी। आप पर अपना आशीर्वाद व कृपा हमेशा बनाए रखेगीं।
 

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