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Home ›   Blogs Hindi ›   Akshaya Tritiya 2022: Must read on the day of Akshaya Tritiya, this legend will be the achievement of special fruits

Akshaya Tritiya 2022: अक्षय तृतिया के दिन जरुर पढ़े यह पौराणिक कथा होगी विशेष फल की प्राप्ति 

Myjyotish Expert Updated 03 May 2022 01:11 PM IST
अक्षय तृतिया के दिन जरुर पढ़े यह पौराणिक कथा होगी विशेष फल की प्राप्ति
अक्षय तृतिया के दिन जरुर पढ़े यह पौराणिक कथा होगी विशेष फल की प्राप्ति - फोटो : google
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अक्षय तृतिया के दिन जरुर पढ़े यह पौराणिक कथा होगी विशेष फल की प्राप्ति 


अक्षय तृतिया का पर्व आज पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। महिलायें बाजारों में खरीदारी करने के लिए निकली हुई है क्योकि आज के दिन सोने और चांदी की खरीद्दारी का विशेष महत्तव माना जाता है। आज का दिन अपने आप में बहुत  खास है क्योंकि आज के दिन अक्षय तृतिया के साथ-साथ परशुराम जयंती भी है। कहते है की आज ही के दिन कुबेर को उनके खजानें की प्राप्ति हुई थी। इतना ही नही आज ही के दिन से भारत की सबसे भव्य यात्रा भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए उनके रथ बनने का कार्य आरंभ होता है।  

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इसके साथ और भी कई अन्य विशेष घटनाओं का आज के दिन के साथ संबंध है। इसीलिए अक्षय तृतिया का दिन हिन्दू धर्म के लोगो के लिए इतना खास है।धर्म ग्रंथों में आज के दिन व्रत और पूजा-पाठ का भी काफ़ी विशेष महत्तव बताया गया है। आज हम आपके लिए अक्षय तृतिया से जुड़ी एक पौराणिक कथा लेकर आयें है। आज के दिन इस कथा को पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

एक समय की बात है शाकलनगर में एक वैश्य रहता था, जिसका नाम धर्मदास। उसकी ईश्वर में असीम आस्था थी और वह एक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति था। वह दान-पुण्य का कार्य बड़ी ही श्रद्धा से किया करता था। एक दिन र्धमदास नामक वैश्य को अक्षय तृतिया के महत्तव के बारे में पता चला था। उसे अक्षय तृतिया के दिन किये गये दान के महत्तव के बारे में पता चला की इस दिन ब्राह्मणो को भोज कराने से और दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और यह बात धर्मदास के मन में बैठ गयी थी।

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फिर जब अक्षय तृतिया की तिथि आयी तो उसने प्रातः भोर में स्नान कर पितरों और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर उसके बाद ब्राह्मणों को आदर सम्मान सहित भोजन कराया था। उसकी पत्नी समेत परिवार के अन्य सदस्यों को उसकी यह बात बिल्कुल भी नही भाती थी और वह हमेशा धर्मदास को यह सब करने से रोकते थे। परंतु, धर्मदास ने कभी भी दान-पुण्य करना नही छोड़ा था। बल्कि जब से उसे अक्षय तृतिया के महत्तव के बारे में पता चला था तब से वह हर वर्ष अक्षय तृतिया के दिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य का कार्य करने लगा था। 

अपने इस जन्म में निधन के बाद धर्मदास अपने अगले जन्म में द्वारिका के कुशावति नगर में पैदा हुआ था। अपने पिछले जन्म में अक्षय तृतिया के पूजा-पाठ के फल से वह इस जन्म में कुशावति नगर का राजा बना था। अपने इस जन्म में भी वह एक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति था।  

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस कथा को जरुर पढ़ना चाहिए और संभव हो तो दूसरो को भी पढ़कर सुनानी चाहिए

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