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Achala Saptami 2023:अचला सप्तमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Acharya RajRani Updated 28 Jan 2023 03:27 PM IST
Achala Saptami 2023:अचला सप्तमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Achala Saptami 2023:अचला सप्तमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - फोटो : google

अचला सप्तमी, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 


हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी के रुप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान सूर्य के निमित्त व्रत रखा जाता है. भगवान सूर्य को समर्पित इस व्रत को सूर्य जयंती, रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अचला सप्तमी के दिन भगवान सूर्य रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे. इस वजह से इसे सूर्य जयंती कहा जाता है. 

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इस दिन स्नान दान करने से धन की वृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. अचला सप्तमी का पर्व 28 जनवरी के दिन मनाया जाएगा. अचला सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव की विधिवत पूजा करने से हर प्रकार की समस्या समाप्त होती है. मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से हर कष्ट और पाप से मुक्ति मिलती है और धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है.जानिए अचला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि कैसे करें भगवान सूर्य का पूजन. 

अचला एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का प्रारंभ 27 जनवरी को सुबह 09 बजकर 10 मिनट पर होगा. माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि समाप्त 28 जनवरी को 08 बजकर 43 मिनट पर होगी. उदय तिथि के अनुसार अचला सप्तमी का व्रत 28 जनवरी 2023 को रखा जाएगा. साध्य योग 27 जनवरी को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से 28 जनवरी को सुबह 11 बजकर 54 मिनट तक व्याप्त होगा. शुभ योग 28 जनवरी सुबह 11 बजकर 54 मिनट से 29 जनवरी सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. 

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अचला सप्तमी स्नान और दान का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अचला सप्तमी पर सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 07 बजकर 12 मिनट तक स्नान और दान करना शुभ रहेगा. इस समय पर किया जाने वाला दान पुण्य अक्षय फलों को प्रदान करता है. 

अचला सप्तमी के दिन पूजा विधि
अचला सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. तांबे के लोटे में जल में थोड़ा सा लाल सिंदूर, अक्षत, लाल फूल, थोड़े से तिल जल में डालकर अर्घ्य देना चाहिए. इसके साथ ही नैवेद्य, घी का दीपक, धूप जलाकर विधिवत आरती करनी चाहिए. सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए 'सपुत्रपशुभृत्यय मर्कोयं प्रियतम' मंत्र का जाप करना चाहिए. सूर्य देव की विधिवत पूजा करने के बाद जरूरतमंद या गरीबों को वस्त्र, तिल, अनाज आदि का दान करना चाहिए. इस प्रकार से की गई पूजा भक्त को शुभ फल प्रदान करती है.
 

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