ऐसा मंदिर जहां रहस्यमयी तरीके से दुबली हो जाती है भगवान कृष्ण की मूर्ति
इस साल कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव 18 अगस्त 2022 ,दिन गुरुवार को पड़ रहा है। लेकिन कुछ जगहों पर 19 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा।कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। क्योंकि इसी समय बालगोपाल कंश के जेल में धरती पर अवतरण हुए थे। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भक्त चाहते है की उन पर उनके प्रभु का आशीर्वाद बना रहे,तो आप इस दिन कान्हा की विशेष पूजा पाठ करें और रात को भक्ति भाव के साथ श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करें इसके साथ ही भजन कीर्तन करें। देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाता है।
हर जगह जगह उस मंदिर की अपनी एक अलग पहचान और महत्व है,जो बालगोपाल से जुड़ी है।संस्कृतियों का गढ़ कहे जाने वाला भारत विश्व में अपने धार्मिक रीति रिवाजों के लिए भी प्रसिद्ध है।अलग-अलग धर्म वाले इस देश में अनेक धार्मिक स्थल मौजूद हैं।जो पूरे देश में फैले हुए हैं।दुनिया में आस्था का केंद्र माने जाने वाला भारत में केरल एक ऐसा राज्य है जहां बालगोपाल की एक अद्भुत मंदिर है। जिससे एक विचित्र रहस्य जुड़ा हुआ है। मान्यता है की इस मंदिर जो बालगोपाल की मूर्ति है वो भूख से व्याकुल रहती है। अगर उनको समय से भोग नहीं लगाया जाता है तो उनकी स्थापित मूर्ति पतली होने लगती है। आइए इस मंदिर से जुड़ी जरूरी बातें जानते हैं।
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कहां स्थित है ये मंदिर
बालगोपाल का ये मंदिर बहुत ही चमत्कारी और आस्था का केंद्र माना जाता हैं। इस मंदिर के दर्शन के लिए जगह जगह से लोग आते रहते है। यशोदा नंदन का ये मंदिर केरल राज्य के कोट्टायम जिले के, इलाके तिरुवेरपु या थिरुवरप्पू में बालगोपाल का मंदिर स्थिति है। इस मंदिर की अलग बात ये है की ,बालगोपाल की मूर्ति को बहुत भूख लगता है। समय से भोग नहीं दिया गया तो ये मूर्ति पतली होती जाती है। करीब 1500 साल पुराने इस मंदिर में भगवान कृष्ण को 10 बार प्रसाद खिलाया जाता है। कहा जाता है, कि प्लेट में रखा हुआ प्रसाद धीरे-धीरे कम होने लगता है। धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान ने कंस को मारा था, तब उन्हें बहुत भूख लगी थी और तब से भगवान की मूर्ति यहां भूख से व्याकुल रहती है।अगर भगवान को खाना देने में जरा भी देरी हुई, तो मूर्ति अपने आप दुबली होना शुरू हो जाती है।
महज 2 मिनट के लिए बंद होता है मंदिर
हर मंदिर के खुलने और बंद करने के अपने टाइम होते है। ठीक वैसे ही केरल के इस बालगोपाल का मंदिर है।मान्यता हैं कि भगवान कृष्ण की मूर्ति सिर्फ 2 मिनट के लिए सोती है। पुजारी को मंदिर की चाबी के साथ कुल्हाड़ी भी दी जाती है। इसकी वजह अगर चाबी से कपाट का ताला न खुले, तो उसे तोड़ देने की अनुमति उसके पास होती है।इस प्रथा का सालों से निभाया जाता आ रहा है।
ग्रहण में भी बंद नहीं होता मंदिर
इस मंदिर की खास बात की जब जब ग्रहण लगता है तब इस मंदिर की कपाट खुले हुए होते है। तात्पर्य ग्रहण के समय सारे मंदिर के कपाट बंद हो जाते है और ये एक ऐसा मंदिर है , जो हर समय खुल हुआ होता है। ग्रहण में देवता कष्ट में होते हैं, लेकिन भगवान कृष्ण की मूर्ति को ध्यान में रखते हुए, यहां मंदिर के कपाट खुले रहते हैं और उन्हें समय समय पर प्रसाद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि यहां प्रसाद ग्रहण करने वाला व्यक्ति कभी भूखा नहीं रहता।
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