5. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछाकर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठकर करनी चाहिए। पूजा का आसन जूट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है। बिना आसान के पूजा नहीं करना चाहिए।
6. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता प्रसन्न होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है।
दरिद्रता से मुक्ति के लिए ज़रूरी है अपने ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी, देखिए अपनी जन्म कुंडली मुफ़्त में