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जानिए सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश से किन राशियों को मिलेगा लाभ

sonam Rathore my jyotish expert Updated Sun, 26 Sep 2021 12:21 PM IST
Sun transit effect
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किन भावों में क्या असर करता है बुधादित्य योग?
लग्न- भाव में:-
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, कुंडली में प्रथम भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो व्यक्ति को मान-सम्मान तथा यश की प्राप्ति होती है। व्यक्ति चतुर तथा बुद्धिमानी होता है। लेकिन उस व्यक्ति को बचपन से सेहत संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्वभाव से वह क्षमाशील, उदार, व साहसी होता है। बुधादित्य योग बनने से व्यक्ति अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्य करता रहता है।

द्वितीय भाव में:-
कुंडली में द्वितीय भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो उसको सुखी जीवन के साथ ही ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। हर चीज के बारे में जानकारी लेना उसको पसंद होता है, व उत्सुक रहता है। उसका वैवाहिक जीवन समर्थ  होता है और व्यवसाय में कामयाबी प्राप्त करता है। इन लोगों के दूसरों के धन से व्यापार कर सफल होते हैं। इस भाव में यह योग बनने पर पुराने ऋण से मुक्ति मिलती है। यह योग धन संपत्ति और अन्य प्रकार के शुभ फल इस भाव में प्रदान करता है।

तृतीय भाव में :-
कुंडली में तीसरे भाव में बुधादित्य योग हो तो भाई-बहनों में ज्यादा स्नेह नहीं रहता है,साथ ही भाग्योदय के कई अवसरों का लाभ नहीं मिलता लेकिन नौकरी पेशा और व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है। सेना, पुलिस तथा राजनीति से संबंध रखने वाले लोगों को अच्छे पद की मिलते हैं। 

चतुर्थ भाव में:-
कुंडली में चौथे भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो वह समझदार व जिम्मेदार लोगों के साथ रहना पसंद करता है। इस योग में व्यक्ति को सफलता तो मिलती है लेकिन कानूनी मामलों में अपराधनी बनानी पड़ती है। साथ ही माता के स्वास्थ्य का ख़्याल रखना पड़ता है।मित्रों एवं सहयोगियों का साथ और प्रेम मिलता है। इस योग से जीवनसाथी का भाग्य प्रबल हो जाता है।

पंचम भाव में:-
कुंडली में पांचवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो बहन और भाभी के साथ वैचारिक मतभेद दिखते हैं। यह योग गुणवान संतान प्रदान करता है और जातक का नाम रौशन करता है। आध्यात्म क्षेत्र में रुचि बढ़ती है। कार्यक्षेत्र में नेतृत्व और धार्मिक यात्रा पर जाने के आसार बनते है। ऐसे में जातक को जीवन में सफलता मिलती है बशर्ते वह अभिमानी न हो।

षष्ठ भाव में:-
कुंडली में छठे भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो विरोधियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन हर चुनौतियों को से निपटने की शक्ति भी रखता है और आत्मविश्वास से भरा होता है। इस योग में माता पक्ष से काफ़ी लाभ मिलता है।पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियां हो सकती है। कहीं भी निवेश से लाभ होता है।

सप्तम भाव में:-
कुंडली में  सातवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो दांपत्य जीवन में परेशानियां आती हैं, जिसकी वजह से वैवाहिक जीवन को नीरस होता है। जीवनसाथी से सहयोग नहीं मिलता। इस योग के व्यक्ति का संबंध समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थाओं से रहता है। साथ ही यौन रोग को उत्पन्न हो सकते हैं। जातक को चिकित्सा व रत्न व्यवसाय में सफलता मिलती है। शुभ ग्रहों की दृष्टि इस योग में कुछ परिवर्तन होते हैं, जहां हानि हो रही हो वहां लाभ देखने मिलता है।

अष्टम भाव में:-
कुंडली में आठवें भाव में बुधादित्य योग बनता हो तब जातक दुसरों के सहयोग के चक्कर में स्वयं उलझ जाता है। इस योग का व्यक्ति  व्यापार करता है और अच्छा बिजनसमैन बनता है। साथ ही दुर्घटनाओं का खतरा  रहता है और इस योग के जातक को वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त होता है।

नवम भाव में :-
 कुंडली में  नौवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो जातक को कई शुभ फल मिलते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता तो मिलती है लेकिन अगर आप अपने पिता पर निर्भर हैं तो भाग्य साथ नहीं देता। भाग्य का पूर्ण साथ देने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी और फिर आसानी से सभी कार्य बन जाएंगे।आलस्य के कारण इस योग का लाभ नहीं मिलता। यह योग व्यक्ति को अंहकारी भी बना सकता है।

दशम भाव में:-
कुंडली में दसवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो वह काफी धन कमाने में चतुर, साहसी एवं संगीत प्रेमी बनता है। नौकरी व व्यापार में सफलता मिलती है। संतान के मामले में यह चिंतित रहता है। क्योंकि धर्म के प्रति अधिक झुकाव होता है।

एकादश भाव में :-
 कुंडली में एकादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो सरकार और प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति होती है और जातक धन-धान्य से संपन्न रहता है। कला के क्षेत्र में रुझान बढ़ता है। ऐसा व्यक्ति रूपवान होता है व लोक सेवा के लिए कार्य करता रहता है।

द्वादश भाव में:-
कुंडली में द्वादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो धन के मामले में अच्छा नहीं कहा जा सकता। पारिवारिक विवाद का भी सामना करना पड़ता है।जुआ-सट्टे में फंस कर धन की हानि होती है और थोड़ा धन इधर-उधर से आता है लेकिन खर्च ज़्यादा होता है। इस योग के व्यक्ति को विदेशों में सफलता मिलती है।




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