. जो सन्यासी व्यक्ति होते हैं उनका श्राद्ध द्वादशी तिथि में होता है, चाहे मृत्यु तिथि कोई भी हो।
. यदि पति जीवित हो और पत्नी की मृत्यु हो जाये तो उनका श्राद्ध नवमी तिथि को होना चाहिए चाहे मृत्यु तिथि कोई भी हो।
. अपनी तीन पीढ़ियों के साथ नाना नानी का श्राद्ध करना भी हमारा कर्तव्य है इनका श्राद्ध सिर्फ अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को ही करना चाहिए,चाहे मृत्यु तिथि कोई भी हो।
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021