वैज्ञानिक महत्व
आसन बिछाने के पीछे धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी है. दरअसल धरती में चुंबकीय शक्ति यानी गुरुत्वाकर्षण होता है. जब कोई व्यक्ति ध्यानमग्न होकर विशेष मंत्रों का जाप करता है तो उसे अंदर एक सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है. अगर आपने कोई आसन नहीं बिछाया है को ये उर्जा धरती में समाहित हो जाती है और आपको कोई फायदा नहीं मिलता है. इसलिए पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना गया है.
कभी भी पूजा करते समय किसी दूसरे व्यक्ति के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
आसन के इस्तेमाल के बाद इधर- उधर न छोड़ें. इससे आसन का निरादर होता है.
पूजा के आसन को हमेशा साफ हाथों से उठाकर सही तरीके से तय लगाकर रखना चाहिए.
पूजा करने के बाद सीधा आसन से न उठें. पहले आचमन से जल लेकर भूमि पर अर्पित करें और धरती को प्रणाम करें.
पूजा के आसन का प्रयोग किसी अन्य कार्य में न करें.
पूजा के पश्चात अपने ईष्ट देव को प्राणाम करते हुए पूजा के आसन को उसकी सही जगह पर रख दें.
आसन बिछाने के पीछे धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्व भी है. दरअसल धरती में चुंबकीय शक्ति यानी गुरुत्वाकर्षण होता है. जब कोई व्यक्ति ध्यानमग्न होकर विशेष मंत्रों का जाप करता है तो उसे अंदर एक सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है. अगर आपने कोई आसन नहीं बिछाया है को ये उर्जा धरती में समाहित हो जाती है और आपको कोई फायदा नहीं मिलता है. इसलिए पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना गया है.
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