कब किस आसन का उपयोग होना चाहिए:-
वाघांबर:-
वैसे तो कुछ शिव भक्त बड़े बड़े सन्यासी पूजा के दौरान वाघांबर( शेर का चर्म) का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब वो मिलना बहुत मुश्किल भी है और गैर कानूनी भी।
कम्बल या ऊनी आसन :-
लाल रंग का कम्बल या आसन लक्ष्मी जी, हनुमान जी, भगवती माँ दुर्गा की आराधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है ।
कुशा का आसन:-
तो वहीं मंत्र सिद्धि हेतु यह आसान योग्य माना जाता है। लेकिन श्राद्ध के काम में कभी भी कुशा के आसन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021