जो सभी भक्तों का करती है बेड़ा पार ;
चलो आओ जुड़ बैठे शिव के चरणों में
मिलकर बांट ले हम भोले भंडारी का यह प्यार ।।
आप सभी साल के आठवें महीने यानी कि अगस्त माह से परीचित तो जरूर होंगे व ये भी जानते होंगे कि इस महीने को हम पर्व महा उत्सव के नाम से भी जाना करते हैं । साथ ही साथ इस महीने को हम सावन माह के नाम से भी पुकारा करते हैं । जहां हरियाली तीज , रक्षाबंधन जन्माष्टमी , व शिवरात्रि जैसे कई बड़े त्योहार बनाए जाते हैं ।
लेकिन इसी बीच सावन माह की पूर्णिमा भी पड़ती है । जिसकी पूजा करने से आप भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करते हैं ।
सावन माह की पूर्णिमा को भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं । उत्तर भारत के लोग इसे रक्षाबंधन त्योहार के रूप में मनाते हैं । वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में इस दिन को अलग नाम दिया गया हैं ।
आपको बता दें हर महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा का दिन आता है । पूर्णिमा का एक तिथि में अपना अलग धार्मिक रूप है जिसे काफी शुभ माना जाता है ।
लेकिन सावन माह की पूर्णिमा धार्मिक रूप में अपना विशेष महत्व रखती है । साल 2021 के अगस्त माह में यह शुभ दिन 22 अगस्त के दिन पड़ रहा है । जिस दिन रक्षाबंधन भी बनाई जाएगी व बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर उसकी दीर्घायु व स्वास्थ्य जीवन की प्रार्थना करेंगी ।
पर हर पूजा को संपन्न करने के कुछ विधि - विधान होते हैं । ठीक उसी तरह से पूर्णिमा को सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए भी कुछ खास कार्य बनाए गए हैं ।
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1. त्योहार भाईयों और बहनों का , त्योहार रक्षाबंधन का ;
भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना यानी कि सावन माह की पूर्णिमा के दिन सबसे खास त्योहार रक्षाबंधन का होता है । जहां बहन अपने भाई के हाथ की कलाई पर रक्षा का सूत्र बनती है । राखी बांधती है ।
2. जनेऊ का बदल जाना ;
जनेऊ का बदल जाना , श्रावणी उपाकर्म कहलाता है । इस दिन के मुख्य कार्य उत्तर भारत में होते हैं । वाह दक्षिण भारत में इसे अबित्तम के नाम से जाना जाता है ।
ये पर्व यज्ञोपवित पूजन और उपनयन संस्कार करने का विधान होता हैं ।
3. तर्पण कार्य ;
इस कार्य को श्रावणी अथवा ऋषि तर्पण के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन अपने पितरों के निमित्त तर्पण अर्पण किए जाते हैं । जिसे करने से हमारे पितरों की तृप्ति हो जाती है ।
धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से रक्षाबंधन के पर्व को पुण्य प्रदायक , पाप नाशक व विष तारक या विष नाशक का महत्व दिया गया है जो कि असफल कार्यों को नष्ट करता है ।
सावन माह की पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को आहार - विहार , हिंसा का ध्यान रखना चाहिए । साथ ही साथ इंद्रियों का संयम करने व सदाचारण करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए ।
4. स्नान और दान का कार्य ;
पूर्णिमा के इस पवित्र दिन भक्तजन नदी में स्नान भी किया करते हैं । सावन माह की पूर्णिमा पर व्यक्ति परंपरागत ढंग से तीर्थ अवगाहन , हेमाद्रि संकल्प , तर्पण व दशस्नान और इत्यादि काम किए जाते हैं ।
सावन माह की पूर्णिमा के दिन दान करना भी महत्व माना जाता है । यदि कोई व्यक्ति इस दिन दान करता है तो उसे पुण्य फल की प्राप्ति होती है ।
5. व्रत का महत्व ;
सावन माह की पूर्णिमा का व्रत करना बहुत ही महत्व रखता है । आमतौर पर उत्तर और मध्य भारत की महिलाएं इस दिन का व्रत रखती है व अपने बेटे की लंबी उम्र की कामना करती हैं । इसीलिए उत्तर भारत में पूर्णिमा के व्रत को कजरी पूनम भी कहा जाता हैं ।
6. किन-किन की करें पूजा ;
सावन माह की पूर्णिमा के दिन आप भगवान शिव , मां पार्वती , संकट मोचन हनुमान जी , चंद्रमा , भगवान विष्णु जी , महालक्ष्मी व माखन चोर भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है ।
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