इन कामों से इस अवधि में बचें।
– इस दौरान अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाते हुए सादा जीवन जिएं. कोई भी शुभ काम न करें.
- पितृ पक्ष में किसी पशु-पक्षी को न सताएं. ऐसा करना संकटों को बुलावा देना है. बल्कि इस दौरान घर आए पशु-पक्षी को भोजन दें. मान्यता है कि पूर्वज पशु-पक्षी के रूप में अपने परिजनों से मिलने आते हैं.
- सोलह दिनों तक चलने वालें श्रद्धा के दौरान परिवार के सदस्यों को नाखून काटने, बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने से बचना चाहिए. इसके अलावा इन दिनों शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए. मन और विचारों की अशुद्धता पूर्वजों को नाराज कर सकती है.
- अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए किए जाने वाले कार्यों में पितृपक्ष का समय पूर्वजों को समर्पित होना चाहिए इसलिए इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए. इस नियम का पालन ना करने से पूर्वज क्रोधित हो सकते हैं. आपको जीवन में अचानक कई कठिनाइयों और असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है.
- हिंदू शास्त्रों में प्याज और लहसुन को 'तामसिक' माना जाता है, जो हमारी इंद्रियों को प्रभावित करती है. पितृपक्ष की अवधि के दौरान, खाने में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
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पितृपक्ष के दौरान कोई भी जश्न या उत्सव नहीं मनाना चाहिए और ना ही इसका हिस्सा बनना चाहिए. अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को अपने मन को एकाग्र रखना चाहिए. इस अवधि में किसी भी तरह का जश्न मनाने से आपके पूर्वजों के प्रति आपकी श्रद्धा प्रभावित होती है.
इस पितृ पक्ष गया में कराएं श्राद्ध पूजा, मिलेगी पितृ दोषों से मुक्ति : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021