पितृपक्ष 15 दिन का होता है जो भाद्रपद की पूर्णिमा को शुरू होता है और अश्विन की अमावस्या पर समाप्त हो जाता है। पितृपक्ष के दौरान मनुष्य अपने पूर्वजों को पानी देकर एवं वितरण उतारने के लिए श्राद्ध करता है। हिंदू धर्म में पितृपक्ष को अधिक महत्व दिया गया है। वर्तमान में पितृपक्ष शुरू होने वाला है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण का उल्लेख किया गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि हमारे पूर्वज पितृपक्ष के दौरान पृथ्वी पर निवास करते हैं। पितृ ऋण उतारने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि पितृपक्ष के दौरान जो श्रद्धा से पूर्वजों का तर्पण एवं स्वागत करता है उसे उनके पूर्वज खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं। पित्र पक्ष को कनागत भी कहा जाता है।
मुक्ति के लिए होता है श्राद्ध
अगर किसी मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना किया जाए तो उसे लोग से मुक्ति नहीं मिलती और वह भूत के रूप में संसार में ही रह जाता है।
पित्र दोष को सबसे जटिल दोष माना गया है आइए जानते हैं वह कैसे
देवताओं को प्रसन्न करने से पहले हमें अपने पितरों को प्रश्न करना चाहिए। यह न करने से कुंडली में दोष और घर में अशांति आ जाती है और सभी सुख के साधन बंद हो जाते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -6 अक्टूबर 2021