पितृ दोष
नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषशास्त्र में पितृदोष को सबसे बड़ा और खतरनाक दोष माना गया है। पितृदोष होने पर व्यक्ति के जीवन में जबर्दस्त परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं। जीवन में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। जिसकी कुंडली में यह दोष होता है उसको कई तरह के मानसिक तनाव झेलने पड़ते हैं और किसी काम में सफलता नहीं मिलती है। पितृदोष के कारण व्यक्ति की तरक्की में भी बाधा आती है और दांपत्य जीवन में तनाव आना शुरू हो जाता है।
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