•कुम्हड़ा: कुम्हड़ा की तुलना माता कुष्मांडा से की जाती है और इसके सेवन से शरीर बलवान बन जाता है। परसों के लिए इसका सेवन वीर्य वर्धक है एवं यह पेट को हमेशा साफ रखता है। इसका सेवन करने से रक्त विकार दूर होता है और मानसिक समस्याओं एवं शारीरिक संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। जो व्यक्ति ह्रदय रोगों से परेशान हैं इसके लिए लाभकारी माना गया है।
•अलसी: अलसी के छोटे दानों को मां स्कंदमाता के स्वरूप माना गया है एवं इसका सेवन करने से शरीर में वात, पित्त और कब जैसे जुड़े हुए रोगों से मुक्ति मिलती है।
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