ज्योतिष में बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त बुध एक तटस्थ ग्रह है, परंतु विभिन्न ग्रहों से युति के कारण इसके फलों में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं। बुध ग्रह का ज्योतिष में अपना ही आयाम है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में वाणी का कारक माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में बुध कमजोर होता है। वह संकोची होता है। अपनी बात रखने में उसे परेशानी होती है। इसके साथ ही वह जातक अपने वाणी पर नियंत्रण नहीं रख पाता वाणी के कारण उनके कार्य बिगड़ जाते हैं। ज्योतिष में बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में बुध ग्रह को एक शुभाशुभ ग्रह माना गया है अर्थात ग्रहों की संगति के अनुरूप ही यह फल देता है। यदि बुध ग्रह शुभ ग्रहों के साथ युति में हैं तो यह शुभ फल और क्रूर ग्रहों की संगति में अशुभ फल देते हैं। ज्योतिष में बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि के स्वामी के तौर पर मान्यता प्राप्त है। कन्या बुध (Mercury) की उच्च राशि भी है जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष में उपस्थित मान्य 27 नक्षत्रों में से बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। जिनमें जन्में जातक बुध से काफी प्रभावित रहते हैं।
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