यहाँ, देवी संध्या की छाया से परम तेजस्वी सूर्य देव को दबे हुए रंग और सुन्दर ना दिखने वाली सन्तान ने पुत्र रूप में जन्म लिया, जो कि साक्षात् परम शिव का अंश था। स्वयं भोलेनाथ ने ही उसका नाम शनैः (शनि) रखा, जिसका अर्थ है मध्यम या धीरे। परन्तु, सूर्य देव सदैव शनि को हीनभावना से हाई देखते व उसका तिरस्कार करते। सूर्य देव के पुत्र होने के कारण शनि बाल रूप से ही विशिष्ट शक्तियाँ रखते थे।
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