सौरमंडल में कई सारे ग्रह हैं। जिनमें से राहु केतु ऐसे ग्रह है,जिनके नाम से भी व्यक्ति घबरा जाता है। इनको लेकर ऐसी मान्यता है कि यह जिस भी राशि में होते हैं उन्हें काफ़ी कष्टों का सामना करना पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में केतु को विशेष स्थान प्राप्त है। इसे अशुभ ग्रह माना जाता है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि केतु के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में केवल बुरे फल की प्राप्ति होती है। कये शुभ फल भी देते हैं। केतु को वैराग्य, अध्यात्म, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक माना गया है।
ज्योतिष शास्त्र में राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन केतु की उच्च राशि धनु है और केतु को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी माना गया है। केतु का प्रभाव आकाश मंडल में वायव्य कोण में माना गया है। सूर्य और चंद्र ग्रहण भी राहु और केतु के ग्रहों के कारण ही होता है। ज्योतिष शास्त्र में केतु की कोई निश्चित राशि नहीं है और इसलिए यह जिस राशि में बैठता है उसी के मुताबिक फल भी देता है। राहु - केतु को एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करने में तकरीबन डेढ़ साल का समय लग जाता है। 12 अप्रैल साल 2022 को केतु वृश्चिक राशि से तुला राशि में अपना गोचर करेंगे। यह अच्छे एवं बुरे दोनों ही तरह के कर्मों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आइए जानते हैं कि केतु का शुक्र के अधिपत्य वाली राशि तुला में गोचर करना किन राशियों के लिए शुभ फलदाई साबित होने वाला है .
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