द्वितीय भुजा
उनकी द्वितीय भुजा में पाश है जो इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को अपने स्वभाव एवं व्यवहार में इतना नियंत्रण रखना चाहिए जिससे जीवन संतुलित रहे। क्रोध एवं हर्ष दोनों अवस्थाओं पर अपना नियंत्रण होना चाहिए। गणपति जी के चतुर्बाहु रूप का विशेष महत्व है। हर भुजा में एक अलग प्रतीक है जो विशेष महत्व को दर्शाता है। एक हांथ में अंकुश, दूसरे में पाश, तीसरे में मोदक एवं चौथे हांथ में भक्तों के लिए आशीर्वाद है। हिन्दू धर्म में बप्पा को बल बुद्धि का देवता माना जाता है जो सम्पूर्ण देव समाज में सर्वोपरि हैं।
सर्वपितृ अमावस्या को गया में अर्पित करें अपने समस्त पितरों को तर्पण, होंगे सभी पूर्वज एक साथ प्रसन्न -6 अक्टूबर 2021