क्या है इससे जुड़ी धार्मिक मान्यता
पुराणों में ऐसा कहा गया है कि समुद्र मंथन के समय स्वर्भानु नाम के दैत्य ने छल द्वारा अमृतपान करने का प्रयास किया था इस पर सूर्यदेव एवं चंद्रदेव की नजर पड़ गई, उन्होंने इस घटना की जानकारी भगवान विष्णु को दी। श्रीहरि ने क्रोध में आकर सुदर्शन से दैत्य का सिर अलग कर दिया लेकिन अमृत की कुछ बूंद अंदर जाने से वो दैत्य अमर हो गए। सिर वाले हिस्से को राहु एवं धड़ को केतु के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इसी घटना का बदला लेने के लिए राहु केतु सूर्य एवं चन्द्रदेव पर हमला करते हैं। जब इन दोनों सूर्य या चन्द्रमा पर हावी होते हैं तो ग्रहण की स्थिति उत्पन्न होती है। इस दौरान नकारात्मकता बढ़ती है, इसलिए शुभ कार्य इस समयावधि में नही किये जाते हैं।
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