शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है जिसका नाम सुनते ही लोगों के शरीर कांप उठते हैं। बृहस्पति ग्रह के बाद शनि ही सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।
शनि के लिए अधिकतर लोगों में खौफ ही देखने को मिलता है। ये ग्रह अन्य ग्रहों से काफी खतरनाक माना गया है। शनिदेव को सूर्य पुत्र और कर्मफल दाता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं। हालंकि शनि ग्रह को पितृ शत्रु भी माना जाता है। इसीलिए उसे अशुभता और दुःख का कारक माना जाता है।शनि भले सभी ग्रहों में से सबसे ख़तरनाक ग्रह हो लेकिन इसकी चाल बहुत धीमी होती है। यही वजह है कि शनि को एक ग्रह से दूसरे ग्रह में जाने के लिए डेढ़ साल का वक्त लग जाता है। जब भी शनि ग्रह किसी राशि में मौजूद रहता है तो उस राशि पर साढ़े सात वर्षों तक शनि का प्रभाव रहता है। इसी को शनि साढ़े साती कहते हैं। वैदिक ज्योतिष में कहा गया है कि जब शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म
कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें और जन्म के चंद्र के ऊपर से होकर गुजरता है तब वो शनि साढ़े साती कहलाता है। लोग शनि की साढ़े साती को बहुत अशुभ और दुख देने वाला मानते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार तो शनि की साढ़े साती का सामना करना ही पड़ता है। शनि की साढ़े साती का आप पर क्या असर पड़ेगा ये इस पर निर्भर करता है कि शनि आपकी जन्म कुंडली में किस स्थिति में है। अगर आपकी जन्म कुंडली में शनि ग्रह शुभ स्थान पर बैठा है तो आपको शुभ परिणाम मिलेंगे लेकिन अगर शनि आपकी कुंडली में अशुभ स्थान पर बैठा है तो फिर शनि की साढ़े साती का समय आपके लिए काफी कष्टदायी हो सकता है। अभी वर्तमान में शनि की साढ़े साती तीन राशियों पर चल रही है।
ये राशियां हैं- कुंभ, मकर और धनु। आइए जानते हैं कुंभ और बाकी राशियों को शनि की साढ़े साती से कब छुटकारा मिलेगा।
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