किसी भी राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव तीन चरणों में पड़ता है। इसके हर चरण की अवधि ढाई वर्ष तक होती है। तीनो चरणों का प्रभाव अलग अलग ढंग से लोगों पर पड़ता है।
शनि की साढ़े साती का पहले चरण उदय चरण कहलाता है। इस चरण में शनि जातकों के मस्तक पर विराजमान रहता है। इस दौरान जातकों को आर्थिक परेशानी से गुजरना पड़ता है। इस समय लोगों को नींद से जुड़ी परेशानियां भी होती हैं। मानसिक चिंता भी बढ़ जाती है और दांपत्य जीवन में भी समस्या आने लगती है।
शनि का दूसरा चरण शिखर चरण कहलाता है। इस चरण के दौरान जातकों को पारिवारिक समस्या और मतभेद से गुजरना पड़ता है। इस समय जातकों को अपने घर परिवार से दूर रहना पड़ता है। ये चरण आमतौर पर सबसे कष्टकारी चरण माना जाता है
तीसरे चरण को अस्त चरण कहा जाता है। इस चरण में जातकों को अधिकार मिलने में बाधा आने लगती है। लोगों के स्वास्थ्य खराब रहने लगते हैं। इस दौरान वाद विवाद भी बहुत बढ़ जाते हैं। इंसान को भौतिक सुख नहीं मिल पाता।
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