1. पुराणों के भगवान शेषनाग ने देवकी के गर्भ में सप्तम पुत्र के रूप में प्रवेश किया था। कंस इस गर्भ के बालक को जन्म लेते ही मार देना चाहता था। तब भगववान श्रीहरि ने योगमाया को बुलाया और कहा कि आप देवकी के इस गर्भ को ले जाकर रोहिणी के गर्भ में डाल आओ। इस तरह बलरामजी ने वसुदेवजी की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ से जन्म लिया जो यशोदा मैया के यहां रहती थी।
2. देवकी के पेट से गर्भ को खींचकर निकालकर उसे रोहिणी के गर्भ में डालने की इस क्रिया को संकर्षण कहा जाता है। गर्भ से खींचे जाने के कारण ही बलरामजी का नाम संकर्षण पड़ा।
3. लोकरंजन करने के कारण बलरामजी राम कहलाए और बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण वे बलराम कहलाए।
4. वे अपने साथ हमेशा एक हल रखते थे इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता था।
5. बलराम का सबसे प्रमुख अस्त्र हल और मूसल है। सामान्य व्यक्ति हल उठाकर उसे हथियार के रूप में प्रयोग नहीं कर सकता लेकिन बलरामजी उसे उठा उसका हथियार के रूप में प्रयोग कर लेते थे।
जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी का माखन मिश्री भोग