1. चिंता
यह बात तो हम सभी जानते हैं की चिंता को चिता के समान बताया गया है। चिंता व्यक्ति को अंदर तक खोखला कर देती है तथा उसकी सोचने और समझने की क्षमता को भी कम कर देती है। ऐसे में व्यक्ति स्वयं के जीवन से जुड़े हुए कई फैसलों में गलत साबित होता है। तथा बाद में उन बातों को लेकर और भी चिंतित होता है जिससे यह चक्र लगातार चलता रहता है। तथा जीवन में जिससे और भी परेशानियां बढ़ जाती है।
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