क्या है वैधव्य और बहु विवाह योग, कुंडली मे कब बनते है यह योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुण्डली में कई तरह के योग बनते है जो जातक के जीवन पर सीधा प्रभाव डालते है। कई बार यह योग शुभ होते है तो कई बार यह योग बहुत ही अशुभ होते है। ऐसा ही एक योग होता है वैधव्य योग। यह योग महिलाओं की कुण्डली में बहुत अशुभ परिणाम देता है। इसके कारण महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्या होता है वैधव्य योग? कैसे बनता है जातक की कुंडली में यह योग? इसके प्रभाव को कम करने के लिए क्या उपाय करने चाहिये? इन सब बातों को जानकारी आज हम आपको इस लेख में देंगे।
जब किसी महिला की कुंडली में वैधव्य या विधवा योग बनता है तो उसके पति की मृत्यु हो जाती है। जिसके कारण वह स्त्री विधवा हो जाती है। जीवन मे यह योग काफी अशुभ होता है। जब भी यह योग किसी स्त्री की कुंडली में बनता है तो उसके लिए यह किसी श्राप से कम नही होता है। समाज मे भिन्न भिन्न मानसिकता के लोग होते है। ऐसे में महिलाओं को अपने बच्चो की परवरिश के लिए उन सभी का सामना करना पड़ता है। साथ ही कई बार सुनने को मिलता है कि ससुराल पक्ष में लोग बहु का साथ नही दे रहे है। कई परिवार तो अपनी बहू को अपशगुनी भी बता देते है। ऐसे में यह योग उस महिला के लिए किसी अभिशाप से कम नही होता है। इसलिये यह योग काफी कष्टकारी होता है। इस योग के कारण महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है।
होली पर वृंदावन बिहारी जी को चढ़ाएं गुजिया और गुलाल - 18 मार्च 2022
यह योग कुंडली में कई परिस्तिथियो में बनता है। आज आपको हम वह सभी स्थिति बतायेंगे जिनमे यह योग बनता है।
• जब सप्तम भाव का स्वामी मंगल हो व शनि की तृतीय सप्तम या दशम दृष्टि पड रही हो जब वैधव्य योग बनता है।
• जब सप्तमेश का संबंध शनि, मंगल से बनता है व सप्तमेश निर्बल होता है तब विधवा योग बनता है।
• यदि किसी स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव में मंगल पाप ग्रहों से युक्त हो तथा पाप ग्रह सप्तम भाव में स्थित मंगल को देखता है, तब भी वैधव्य योग बनता है।
• जिस महिला की कुंडली में सप्तम भाव में मंगल पाप ग्रहों से युक्त हो तथा पाप ग्रह सप्तम भाव में स्थित मंगल को देखता है, तब वैधव्य योग बनता है।
• इसी के साथ चंद्रमा से सातवें या आठवें भाव में पाप ग्रह हो, तो मेष, वृश्चिक राशि का राहु और आठवें या बारहवें स्थान में हो, तो वृषभ कन्या एवं धनु लग्न में वैधव्य योग बनता है।
• सप्तम भाव में पाप ग्रह हो तथा चंद्रमा छठे या फिर सातवें भाव में हो, तो वैधव्य योग बनता है।
• बता दें कि अगर मकर लग्न हो, तो सप्तम भाव में कर्क, सूर्य, मंगल के साथ हो तथा चंद्रमा पाप पीड़ित हो, तब वैधव्य योग बनता है।
• साथ ही यदि लग्न एवं सप्तम दोनों स्थानों में पाप हो, तो वैधव्य योग बनता है।
• जब षष्टम एवं अष्टम भाव के स्वामी अगर षष्टम या व्यय भाव में पापग्रहों के साथ मौजूद होते है, तब भी वैधव्य योग बनता है।
कई बार महिला की कुंडली में वैधव्य या विधवा योग के साथ साथ द्विभार्य या बहु विवाह योग भी बनता है। इस योग के बनने के कारण महिला का दूसरा विवाह होता है। कई बार कुंडली में इस योग के कारण महिला के दो या दो से अधिक विवाह होते है। जो कि स्त्री के ससुराल पक्ष वाले करवाते है। इसलिए इसे बहु विवाह योग भी कहते है।
अब आपको बताते है यह योग किन किन परिस्थितियों में बनता है। कुंडली में किन ग्रह दशाओं के कारण यह योग बनता है। तो आपको बता दे जब लग्न में उच्च राशि का ग्रह हो और लग्नेश उच्च राशि में होता है, तो महिला के तीन से ज्यादा विवाह योग बनते हैं।
कुंडली मे जब बलवान चंद्र और शुक्र एक राशि में बैठे हो, तो बहु विवाह के योग बनते हैं।
जब सप्तम भाव पाप ग्रह से युक्त होकर लग्नेश, धरेश और अष्टमेश तीनों सप्तम भाव में होते है, तब भी बहु विवाह योग बनाता है।
होली पर वृंदावन बिहारी जी को चढ़ाएं गुजिया और गुलाल - 18 मार्च 2022
अब बात करते है उन उपायों की जिनसे यह योग ठीक किये जा सकते है। दूसरे शब्दो में कहे तो इन उपायों को करके उसके बुरे परिणामों को कम किया जा सकता है।
जिन महिलाओं की कुंडली में यह योग बनता है उन्हें पांच साल तक मंगला गौरी की पूजा करनी चाहिये। साथ ही महिला को अपने विवाह से पूर्व कुंभ विवाह करना चाहिये।
वही यदि किसी महिला को अपने विवाह के पश्चात वैधव्य योग का पता चलता है तो उन्हें मंगल और शनि ग्रह से जुड़े उपाय करने चाहिये। बृहस्पति ग्रह को ठीक करने के लिए बृहस्पति पूजा करनी चाहिये। साथ ही भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। ऐसी महिलाओं को चाहिए कि वह अपने घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तो की बंदनवार लगाये और उसे हर पंद्रह दिन बाद बदलना भी चाहिये।
अधिक जानकारी के लिए, हमसे instagram पर जुड़ें ।
अधिक जानकारी के लिए आप Myjyotish के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।