वृषभ संक्रांति पर सूर्य देव का पूजन दिलाएगा कार्यों में सफलता
पंचांग अनुसार वृषभ संक्रांति का पर्व सौर मास पर आधारित है तथा आने वाले सौर मास के आरंभ को दर्शाता है. वृष संक्रांति 15 मई 2022 को रविवार के दिन मनाई जाएगी. यह समय अतंत महत्वपुर्ण समय होता है क्योंकि यह संक्रमण का समय होता है. सूर्य का संक्रमण एक राशि से दूसरी राशि पर जाना संक्रांति सौर मास कहलाता है. वृषभ संक्रांति त्योहार दूसरे महीने की शुरुआत का प्रतीक होता है. इस दौरान सूर्य का ग्रह मेष राशि से वृषभ राशि में परिवर्तन होता है. सूर्य का यह गोचर मेष राशि से वृष राशि में गोचर के अनुरूप है तथा अनुकूल है.
वृषभ संक्रांति मराठी, कन्नड़, गुजराती और तेलुगु कैलेंडर में 'वैशाख' के महीने में होती है और उत्तर भारतीय पंचांग में, यह हिंदू महीने 'ज्येष्ठ' के दौरान मनाई जाती है. वृषभ संक्रांति दक्षिणी भारत के राज्यों में वृषभ संक्रांति के रूप में भी प्रसिद्ध है और सौर कैलेंडर के अनुसार वृषभ संक्रांति नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. यह तमिल पंचांग में वैगासी मासम, मलयालम में एडवम मासम और बंगाली कैलेंडर में ज्येष्ठो मश के आगमन का भी प्रतीक है. उड़ीसा राज्य में, इस दिन को 'ब्रष संक्रांति' के रूप में मनाया जाता है. अपने अलग अलग रुपों और नामों से मनाई जाने वाली ये संक्रांति देश भर में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है.
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वृष संक्रांति पर पुण्यकाल समय
पुण्य काल मुहूर्त 15 मई, 5:49 पूर्वाह्न - 15 मई, 12:23 अपराह्न
महा पुण्य काल मुहूर्त 15 मई, 5:49 पूर्वाह्न - 15 मई, 8:01 पूर्वाह्न
संक्रांति क्षण मई 15, 2022 5:35 पूर्वाह्न
वृषभ संक्रांति का पौराणिक महत्व
संस्कृत में 'वृषभ' शब्द का अर्थ है 'बैल', हिंदू धर्म में, 'नंदी', भगवान शिव के वाहन को एक बैल माना जाता है. धार्मिक ग्रंथ इन दोनों के बीच किसी न किसी रूप में संबंध दिखने को मिलता है, इसलिए वृषभ संक्रांति के उत्सव का हिंदू भक्तों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व होता है. सुखी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए लोग इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. भक्त इस दिन भगवान सूर्य देव का पूजन भक्ति भाव के साथ करते हैं जगत की आत्मा सूर्य है जो जीवन चक्र को सुनिश्चित करती है. जीवन में मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी इस दिन भगवान से प्रार्थना करते हैं.
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वृषभ संक्रांति पर किए जाने वाले कार्य
- वृषभ संक्रांति के शुभ दिन पर, हिंदू भक्त दान करते हैं क्योंकि यह बहुत शुभ और पुण्य कर्मों का आधार माना जाता है. वृषभ संक्रांति के दिन किसी वेदपाठी ब्राह्मण को पवित्र गाय दान करने की प्रथा 'गोदान' को बहुत शुभ माना जाता है.
- कुछ भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं, जिसे 'वृषभ संक्रांति व्रत' के नाम से जाना जाता. इस दिए किए जाने वाला व्रत रखने से सूर्य देवी की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठ कर पवित्र स्नान किया जाता है. सूर्य देव का पूजन होता है. भक्त भगवान शिव के नाम 'ऋषभरुदर' की पूजा करते हैं. भक्त वृषभ संक्रांति पर भगवान विष्णु के मंदिरों में जाते हैं भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें शुभ ज्ञान की प्राप्ति हो. पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में इस दिन के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है. इस दिन विशेष 'भोग' तैयार करते हैं. भगवान से प्रार्थना करने के बाद, भोग को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बांटा और खाया जाता है.
- इस दिन तीर्थ स्थलों पर यात्रियों की भीड़ रहती है क्योंकि भक्त इस दिन संक्रांति स्नान करते हैं. इस पवित्र स्नान को करके वे सूर्य देव और अपने पूर्वजों को भी श्रद्धांजलि देते हैं. वृषभ संक्रांति पर लोग अपने मृत पूर्वजों को शांति प्रदान करने के लिए पितृ तर्पण भी करते हैं
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