जानिए किस दिन है विनायक चतुर्थी ,इसका महत्व , पूजा विधि और अन्य जरूरी जानकारी
गौरी पुत्र श्री गणेश का व्रत मनोकामना पूर्ति ,इच्छा पूर्ति का है। विनायक चतुर्थी का व्रत हर माह में दो बार आता है। इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 3 जून को शुक्रवार को पड़ा है। इस व्रत को रखने से जीवन में आए कष्ट दूर हो जाता है। ये दिन विनायक का होता है।
विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
इस बार विनायक चतुर्थी 3 जून को पड़ा है।वैसे तो 2 जून की मध्य रात्रि से विनायक चतुर्थी शुरू हो रहा है और 3 जून के मध्य रात्रि तक है ,पर अपने हिंदू धर्म में सूर्योदय के बाद का ही दूसरा माना जाता है तो इस कारण 3 जून 2022 को विनायक चतुर्थी हैं। इस समय ज्येष्ठ का महीना चल रहा हैं इसके बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता हैं।
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विनायक चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान कर ले। स्वच्छ कपड़े(पीला या हरा) पहने। पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई कर दे। इस दिन श्री गणेश की पूजा विधि विधान से करें। विनायक को हल्दी,कुमकुम अक्षत, रोली, सिन्दूर चढ़ा कर नमन करे।फिर उनको वस्त्र और 21 दूर्वा गाठ चढ़ाए और जो आपकी मनोकामना है उसको कहे। इस दिन उनको मोदक या लड्डू का भोग लगाए।
मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्र का जाप करें। हो सके तो मंदिर जाकर घी का दीपक जयाए।आज के दिन उपवास रखे।शाम में चंद्र दर्शन के बाद उपवास खोले।गणेश चतुर्थी का पाठ करे। पूजा अर्चना के बाद आरती करे और खुद ले फिर सबको घर में दे दे।
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विनायक चतुर्थी का महत्व
आज के दिन पूरे दिन उपवास रखे। इस दिन का व्रत रखने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। आपको अपनी मनोकामना पूरी करनी है तो इस दिन व्रत रखे । पूजा को विधि विधान से करने के बीच में ही गणेश जी को 21 दूर्वा का गांठ बना कर 11बार चढ़ाएं। और एक एक दूर्वा चढ़ाते समय अपनी मनोकामना को भी बोलते जाए। आपकी मनोकामना पूरी अवश्य होगी। ये व्रत घर में खुशहाली लाती हैं। श्री गणेश बुद्धि, बल, समृद्धि के देवता है। इनको धन का भी देवता कहा जाता है।ये धन धान की भी भरे रहते है।
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