Vijayadashami 2023
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आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी का दिन बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं. इस दिन का संबंध श्री राम के लंका विजय एवं रावण वध से है. लेकिन इस दिन की कुछ बातें काफी विचित्र लग सकती हैं लेकिन इनके पिछे का रहस्य भी कम रोचक नहीं है. विजयदशमी को दशहरे के रूप में पर्व सभी जोशपूर्वक मनाते हैं. कई तथ्य हमें पौराणिक ग्रंथों में मिलते हैं, इसके साथ ही इस दिन से जुड़ी कुछ बातें भी हैं जो हमें हैरान कर देती हैं. सबसे खास बात यह है कि दशहरा पूजा के दौरान रावण के पुतले को जलाने की परंपरा है, लेकिन इसके बाद रावण के पुतले की अस्थियों को उसकी लकड़ी को एवं राख को घर लाना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि इस दहन के बाद पुतले की राख को घर में लाने या जली हुई लकड़ी को घर में लाने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
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यदि आप अपने व्यवसाय में किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं या कोई काम शुरू करना चाहते हैं तो इस दिन रावण दहन की लकड़ी उस स्थान पर रखें जहां आपको अपना काम शुरू करना है या जहां आपको रुकावटें आ रही हों, उसके बाद यह काम करना बंद कर दें. बाधाएं दूर होंगी और आप जीवन में सफलता प्राप्त करने का सुख प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा अगर राख को अपने धन स्थान पर रखा जाए तो माना जाता है कि इससे आर्थिक तंगी दूर हो जाती है.
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दशहरा से सम्बंधित रीति-रिवाज एवं इसका महत्व
शारदीय नवरात्रि के बाद विजय दशमी का त्योहार बहुत विशेष महत्व रखता है. इस दिन दशमी पूजा के दौरान रावण दहन किया जाता है. इस शुभ दिन को असत्य और अधर्म के अंत के रूप में मनाया जाता है. दशहरा का त्यौहार उस घटना का प्रतीक है जब श्री राम ने सत्य और शांति की स्थापना के लिए राक्षस राजा रावण का वध किया था. वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आज भी रावण दहन के रूप में मनाई जाती है. ऐसे में उसके साथ रावण और कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं.
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ये राख और ये लकड़ियाँ लाने से चौरी आदि के भय से मुक्ति मिलती है. दशहरे के दिन ये चीजें घर लाने से घर से बुरी चीजें भी दूर हो जाती हैं. अगर किसी भी तरह की बुरी नजर का प्रभाव आपको परेशान कर रहा है तो इस दिन यह राख बहुत काम आती है. इस राख को उस व्यक्ति को तिलक के रूप में लगाने से या घर की चाहरदीवारी पर लगाने से सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं.
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