पूजा के शुभ फल :
नवरात्रि या दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। किंवदंती के अनुसार, देवी दुर्गा ने दुनिया को बचाने और धर्म को बहाल करने के लिए राक्षस राजा महिषासुर को हराया था। दक्षिण भारत में, राक्षस राजा रावण पर भगवान राम की जीत को चिह्नित करने के लिए नवरात्रि मनाई जाती है। उत्तर भारत में, यह दशहरा के दिन मनाया जाता है, जिसे आमतौर पर विजया दशमी के रूप में जाना जाता है।
Day 1 : काली घाट शक्ति पीठ
कोलकाता में स्थिति कालीघाट मंदिर शक्ति पीठों में से एक स्थान है यह अत्यंत ही प्राचीन और दिव्य स्थल है. शक्ति उपासना का केंद्र काली घाट मंदिर लाखों शृद्धालुओं की श्राद्धा का केन्द्र है. मान्यताओं के अनुसार महाविद्याआ व शक्ति पीठ के रुप में यह स्थान शाक्त परंपरा से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत प्रभावशाली स्थान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता कै पैर की उंगलियां व अंगूठा यहां गिरा था. माता काली यहां जागृत रुप में विराजमान हैं इसलिए इसे जागृत सिद्ध शक्ति पीठ है के नाम से भी जाना जाता है.
Day 2 : कामाख्या शक्ति पीठ
आसाम के गुवाहाटी क्षेत्र के पास स्थिति कामाख्या शक्ति पीठ एक अत्यंत ही चमत्कारिक परालौकिक ऊर्जाओं का स्थान माना गया है. यह स्थान तंत्र सिद्धि के लिए प्रमुख स्थानों की श्रेणी में आता है. कामाख्या शक्ति पीठ में देवी सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान पर आता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां देवी का योनी भाग इस स्थान पर गिरा था और माता यहां सदैव विराजमान रहती हैं।
Day 3 : वैष्णो देवी
जम्मू में कटरा नगर के समीप त्रिकुटा पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर, शक्ति के प्रमुख शक्ति स्थलों में से एक है. यह प्राचीन एवं अत्यंत ही प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, माता के वैष्णो स्वरुप की यहां उपासना की जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर देवी ने भैरौनाथ का वध किया था और फिर इस स्थान पर देवी महाकाली, महासरस्वती तथा महालक्ष्मी के पिण्डी के रूप में विराजमान हुईं थी. माता के ये तीनों रुप वैष्णो देवी के रुप में पूजे जाते हैं. वैष्णों देवी शक्ति स्थल से ही नौ देवी यात्रा का आरंभ होता है.
Day 4 : विंध्याचल (विंध्यवासिनी देवी) शक्ति पीठ
विंध्याचल उत्तर प्रदेश के जिले मिर्ज़ापुर में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर में देवता को विंध्यवासिनी देवी के रूप में जाना जाता है, और उन्हें सबसे पवित्र पीठ में से एक माना जाता है। यह तीन शक्तियों देवी दुर्गा, काली और सरस्वती का समावेश है। लोग अपनी तिकड़ी परिक्रमा को पूरा करने के लिए इस स्थान पर जाते हैं।इसकी खासियत है कि यहां पर तीन किलोमीटर के दायरे में तीनों देवियां विराजति हैं। यहां पर केंद्र में कालीखोह पहाड़ी है, जहां मां विंध्यवासिनी विराजमान हैं। तो वहीं मां अष्टभुजा और मां महाकाली दूसरी पहाड़ी पर विराजमान हैं। अन्य शक्तिपीठों पर मां के अलग-अलग अंगो की प्रतीक के रूप में पूजा होती है लेकिन विंध्याचल एकमात्र ऐसा स्थान है जहां मां के संपूर्ण विग्रह के दर्शन होते हैं। यह पूर्ण पीठ कहलाता है। चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र में यहां लाखों श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं। मां अपने भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।
Day 5 : मनसा देवी, हरिद्वार
मंदिर मनसा देवी के पवित्र निवास के लिए जाना जाता है, जो शक्ति का एक रूप है और कहा जाता है की यह भगवान शिव के दिमाग से निकला है। मनसा को नाग ( नागिन ) वासुकि की बहन माना जाता है। उन्हें उनके मानव अवतार में भगवान शिव की पुत्री भी माना जाता है।
Day 6 : ज्वाला जी शक्ति पीठ
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला जी शक्ति पीठ प्रमुख शक्तिपीठों मे से एक है. इस स्थान पर माता ज्वाला के रुप में सदैव विद्यमान रहती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस थान पर माता की जीभ गिरी थी. आज भी इस स्थान पर अलौकिक ज्योत प्रज्जवलित है जो कभी बुझ नहीं पाई है. यह एक ऎसा स्थान है जहां शक्ति की ऊर्जा का केन्द्र इस ज्योति में निवास करता है और सदियों से ये निरंतर बिना किसी विध्न-बाधा के स्थित है.
Day 7 : चिंतपूर्णी शक्तिपीठ
हिमाचल प्रदेश में स्थित एक अन्य शक्ति पीठ चिंतपूर्णी नाम से विख्यात है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती के चरण गिरे थे जिस कारण इस स्थान को चिंताओं को हर लेने वाला स्थान कहा जाता है और माता का आशीर्वाद सभी को प्राप्त होता है. देवी चिंतपूर्णी को छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है. नौ देवी शक्ति पीठ यात्रा में चिंतपूर्णी शक्ति पीठ पांचवें स्थान पर आता है.
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