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मंगलवार के दिन ही क्यों होती हैं हनुमान जी की पूजा, जानें चोला चढ़ाने का महत्व

Myjyotish Expert Updated 01 Mar 2021 01:35 PM IST
Hanuman Pooja
Hanuman Pooja - फोटो : Myjyotish
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हिंदू मान्यता में हर दिन के हिसाब से लोग अपने देवी और आराध्यो की पूजा भक्ति आदि करते हैं मंगलवार का दिन विशेषता भगवान हनुमान जी के लिए होता है इस दिन हनुमान जी जिन्हें संकट मोचन अन्य कई नामों से बुलाया जाता है... उनकी पूजा-अर्चना की जाती है इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन जो भक्तजन भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त करता है उसे शनि महाराज की साढ़ेसाती और अढैय्या दशा अंतर्दशा में कष्ट कम करने के लिए मंगलवार और शनिवार को चोला चढ़ाया जाता है... इस दिन भगवान हनुमान जी को उनके सभी भक्त जनों द्वारा लाल सिंदूरी चोला अर्पण किया जाता है अर्थात उनके पूरे शरीर पर सिंदूर लगाया जाता है । पर क्या आपने कभी सोचा है कि उन्हें यह लाल सिंदूरी चोला मंगलवार और शनिवार के दिन ही क्यों चढ़ाया जाता है इसके पीछे कई पौराणिक कथा है जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे पंडितों की माने तो हनुमान जी अष्ट सिद्धि नौ-निधि के दाता होने के साथ ही भक्तों की संकटों से रक्षा भी करते हैं, अत: उन्हें खुश करने के लिए सिंदूरी चोला चढ़ाया जाता है

पौराणिक कथा:
एक बार जब हनुमानजी को भूख लगी तो वे भोजन के लिए सीताजी के पास गए। यहां सीताजी की मांग में सिन्दूर लगा देखकर वे चकित हुए और उनसे पूछा- मां, आपने ये क्या लगाया है? तब सीताजी ने उनसे कहा कि यह सिन्दूर है, जो सौभाग्यवती महिलाएं अपने स्वामी की लंबी उम्र, प्रसन्नता और कुशलता के लिए लगाती हैं।इस पर राम भक्त हनुमानजी ने सोचा कि अगर चुटकीभर सिंदूर लगाने से स्वामी की प्रसन्नता प्राप्त होती है तो पूरे शरीर में सिंदूर लगाने से वे सदा प्रसन्न रहेंगे। यह सोचकर हनुमानजी ने पूरे बदन पर सिन्दूर लगा लिया और भगवान श्रीराम की सभा में चले गए। हनुमानजी का यह रूप देखकर सभी सभासद हंसने लगे। पूरी बात जानने के बाद भगवान श्रीराम भी स्वयं के प्रति हनुमान जी के प्रेम को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि जो भी मनुष्य मंगलवार और शनिवार को उन्हें घी के साथ सिंदूर अर्पित करेगा, उस पर स्वयं श्रीराम भी कृपा करेंगे और उसके बिगड़े काम बन जाएंगे।

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अन्य कथा :
अन्य प्रचलित कथाओं में से एक महत्वपूर्ण कथा यह भी है !

लंका विजय के पश्चात भगवान राम सीता जब अयोध्या पधारे तो उसके बाद वानर सेना की विदाई का समय आया तब सभी को मां सीता उपहार दे रही थी तब उन्होंने भगवान हनुमान जी को भी अपने गले में उतार कर एक बहुमूल्य मोतियों वाली माला दी परंतु हनुमान जी उस मोतियों की माला को पाकर प्रसन्न नहीं हुए क्योंकि उसमें श्री राम का नाम नहीं था.... तब सीता जी समझ गई कि हनुमान जी श्रीराम से जुड़ा कोई उपहार देना होगा तब सीता जी ने हनुमान जी से कहा मेरे पास इस सिंदूर से अधिक महत्वपूर्ण कोई वस्तु नहीं है इसलिए तुम यह सिंदूर धारण कर अजर अमर हो जाओ तब से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा इसी सिंदूर से हनुमान जी आज भी अजर अमर है ।

विज्ञान की मानें तो सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है जब भक्तजन अपने आराध्य की पूजा के बाद इसे तिलक के रूप में अपने माथे पर लगाते हैं तो उनके दोनों आंखों के बीच स्थित ऊर्जा केंद्र सक्रिय हो जाते हैं ऐसा करने से मन में अच्छे विचार आते हैं साथ ही भगवान की कृपा भी बनी रहती है ।

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