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Home ›   Blogs Hindi ›   The protector goddess of the four dhams changes her form thrice a day

Chaar dham: चारों धामो की रक्षक देवी दिन में तीन बार बदलती है अपना स्वरूप

MyJyotish Expert Updated 28 Mar 2022 04:48 PM IST
चारों धामो की रक्षक देवी दिन में तीन बार बदलती है अपना स्वरूप
चारों धामो की रक्षक देवी दिन में तीन बार बदलती है अपना स्वरूप - फोटो : Google
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चारों धामो की रक्षक देवी दिन में तीन बार बदलती है अपना स्वरूप

उत्तराखंड की त्रासदी कोई भूल नहीं पाया है। जिसमें न जाने कितने ही लोगों ने अपनों को खोया था वहीं पूरा भारत इस त्रासदी से घबरा उठा था। इस त्रासदी के पीछे विकास के नाम पर धारी माता के मंदिर के स्थान में किया गया परिवर्तन कारण बना था। कहते हैं श्रीनगर में हाइडल पावर प्रोजेक्ट के लिए माँ धारी के मंदिर का स्थान परिवर्तन किया गया था। यह परिवर्तन जिस शाम को किया गया था उसी शाम को मात्र कुछ घंटे बाद इतनी खतरनाक त्रासदी मची की कोई उसे रोक नहीं पाया लोगों का अपनी जान बचाना मुश्किल हो गया था देवी के इस भयावह रूप कोई नहीं झेल पाया। आज हम आपको धारी माता से जुड़ी कुछ चमत्कारी और रहस्यात्मक बातें बताएंगे।

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कहते हैं यहाँ पर माता दिन में तीन बार स्वरूप बदलती हैं भोर में वह एक कन्या की तरह दिखती है वहीं दोपहर में वह एक युवती की तरह दिखती है और जब शाम होती है तो वह एक बूढ़ी महिला के रूप में नजर आती है। यह वास्तव में बहुत ही चौंका देने वाली बात है परन्तु श्रद्धालुओं ने से साक्षात देखने का दावा भी किया है।

 उत्तराखंड में चारधाम हैं जिनकी रक्षा यह धारीदेवी करती है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है। यह पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी मानी जाती है। इनका मंदिर बद्रीनाथ रोड पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भयंकर बाढ़ में धारो गांव में माता की मूर्ति एक चट्टान से आकर रुक गई थी उसके बाद इस मूर्ति से ईश्वरीय आवाज आयी कि गांव वाले उस स्थान पर मूर्ति स्थापित करें जिसके बाद गांव वालों द्वारा वहाँ पर मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित की गई थी।

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गांव के स्थानीय लोग बताते हैं कि 16 जून 2013 की शाम को लगभग 6:00 बजे के करीब माता की मूर्ति को हटाया गया था और वही 8:00 बजे ऐसी भयानक और भयावह बाढ़ आई कि सभी लोग देखते रह गए थे। यह देवी का प्रकोप था। पहाड़ी लोगों में यह मान्यता है कि वहाँ के देवी देवता जल्द ही रुष्ठ हो जाते हैं और जब वह रुष्ठ होते हैं तो अपनी शक्ति से विनाशलीला रच डालते हैं।
चारों धाम की रक्षा करने वाली देवी के मंदिर में संकेत दिखने आरंभ हो जाते हैं जब चारों धाम में कही भी कोई भी विपदा आने वाली होती है। धारीदेवी उत्तराखंड की संरक्षक व पालक देवी मानी जाती है।

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धारीदेवी की मूर्ति दो जगह स्थित है। जिसमें की मूर्ति का ऊपरी भाग अलकनंदा नदी में बहकर आया था तब से यह अलकनंदा नदी के तट पर मौजूद धारीदेवी मंदिर में स्थित है। यह मूर्ति धारा में बहकर आई थी इसलिए उनका नाम धारी देवी है। वहीं मूर्ति का निचला हिस्सा काली मठ में स्थित है जहाँ इनकी माता काली के रूप में आराधना की जाती है। माँ धारी दक्षिणी काली माँ भी कही जाती है। जहाँ काली मठ और कालीस्य मठों में माँ काली क्रोधित मुद्रा में पूजी जाती है वहीं धारीदेवी मंदिर में माँ काली शांत मुद्रा में पूजी जाती है।

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