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सोमवती अमावस्या के दिन अवश्य करें ये 8 काम, मिलेगा सौभाग्य और दूर होगी गरीबी

Myjyotish Expert Updated 14 Dec 2020 05:04 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
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 इस बार 14 दिसंबर 2020, सोमवार को सोमवती अमावस्या है। इस दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते है। यह अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है।

विशेष कर सोमवार को भगवान शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिवजी की आराधना, पूजन-अर्चना उन्हीं को समर्पित होती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।

पुराणों के अनुसार सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान करने की भी परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं। आइए जानें-

14 दिसंबर को इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है जिस दिन सुहागनें पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और पूजा विधि.. .

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सोमवती अमावस्या है। यह इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है। सोमवती अमावस्या एक साल में 2 से 3 बार आती है। हिन्दू धर्म में इसका विशेष महत्त्व है। इस दिन लोग अपने पूर्वज की आत्मा की शांति के लिए नदियों में स्नान कर प्रार्थना करते हैं। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। जानते हैं महत्त्व और कथा?
 

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सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त


मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 14 दिसंबर (सोमवार) को रात्रि 9 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। इस अमावस्या को बहुत ही विशेष माना गया है। अमावस्या की तिथि के बाद प्रतिपदा तिथि होगी।

इस दिन दोपहर 11 बजकर 32 मिनट से 12 बजकर 14 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है और दोपहर 3 बजकर 27 मिनट से 4 बजकर 54 मिनट तक अमृत काल मुहूर्त है। इस दौरान पितृ पूजा और शिव पूजा का शुभ फल मिलेगा।

सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की दूध, पुष्प, अक्षत, चन्दन एवं अगरबत्ती से पूजा-अर्चना करती हैं और उसके चारों ओर 108 धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं।

क्या करें इस दिन :-
  • ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
  • सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
  • सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है।
  • महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
  • सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
  • सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है।
  • जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी।
  • पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है।
  • इसके अलावा मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति होती है।
  • शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर सोमवती अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं।
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