कब मनाई जाती है दिवाली
दिवाली का पर्व हर वर्ष ग्रीष्मकालीन फसल की कटाई के पश्चात मनाया जाता है.यह हिंदू कैलेंडर की सबसे काली रात अमावस्या को मनाया जाता है .इस पर्व को विधिपूर्वक अमावस्या से दो दिन पहले यानि कि धनतेरस से शुरू हो कर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन तक मनाया जाता है . हिंदू मान्यता के अनुसार ,यह अमावस्या की रात ,अश्विन मास का अंत करती है तथा कार्तिक मास की शुरुआत करती है | दिवाली का उत्सव तीसरे दिन यानि कि बड़ी दिवाली के दिन अपने पूरे जोर पर होता है .
कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में कराएं दिवाली लक्ष्मी पूजा, होंगी समस्त कर्ज सम्बंधित परेशानियां समाप्त : 14-नवंबर-2020
दिवाली का इतिहास
इतिहास में दिवाली पर्व के फसल काटने पर मनाए जाने वाले उत्सव से जुड़े होने का साक्ष्य संस्कृत लेख - पदम पुराण और स्कंद पुराण से मिलता है .सातवीं शताब्दी में राजा हर्ष ने संस्कृत नाटक "नागनंदा " में "दीपाप्रतिपदोत्सव " शब्द द्वारा दीपावली का उल्लेख किया है . राजशेखर ने नौवीं शताब्दी में "काव्यमीमांसा" में दीवाली का "दीपामल्लिका "के रूप में किया है .पर्शियन यात्री अलबरूनी ने 11वीं शताब्दी में अपनी भारत यात्रा वृतांत में लिखा था कि "हिंदू कार्तिक मास में अमावस्या के दिन दीपावली मनाते हैं ". 16 वीं शताब्दी में पुर्तगाली यात्री डोमिनो पाईस ने अपनी हिंदू राज्य विजयनगर की यात्रा वृतांत में लिखा है कि "अक्टूबर मास में दीपावली पर लोग दीयों से घर और मंदिरों को सजाते हैं "| प्राचीनकाल में विभिन्न स्थानों पर दीपोत्सव और दीपावली लिखे हुए पत्थर और लोहे के टुकड़े मिले थे . 10 वीं शताब्दी में कृष्ण के राष्ट्रकूट राज्य की ताम्बे की थाली पर दीपोत्सव खुदा हुआ था .12 वीं शताब्दी में कर्नाटक के धारवाड़ के ईश्वर मंदिर में संस्कृत कन्नड़ सिंध भाषा में खुदा "पवित्र अवसर " के रूप में दीपावली का साक्ष्य मिलता है .
दीपावली से जुड़ी कहानियां
हिंदू के हर त्योहार के साथ कोई ना कोई कहानी जुड़ी होती है .दीपावली से जुड़ी हुई दो प्रचलित कहानियां इस प्रकार हैं -
1) कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान राम राक्षसराज रावण को हराकर 14 वर्ष के वनवास के बाद अपनी अयोध्या नगरी लौटे थे. अयोध्या की प्रजा ने अपने प्रिय राजा राम के घर लौटने के उपलक्ष में अपने अपने घरों को दीयों से सजाया था. इसी उपलक्ष में वहां पर दिवाली मनाई जाने लगी .
2) दूसरी कथा के अनुसार असुर नरकासुर ने देवता इंद्र की माता के कानों के कुंडल चुराए थे तथा 16000 महिलाओं को कैद कर रखा था. नरकासुर के दुष्कर्मों से भयभीत होकर सभी देवता और महर्षि , विष्णु जी के पास पहुंचे . तब विष्णु जी ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लेकर कार्तिक की चतुर्दशी को नरकासुर से इंद्र देवता की माता के कुंडल वापस लिए और सभी महिलाओं को उनकी कैद से छुड़ाया था . इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाने लगा . लोगों ने भगवान कृष्ण की इस जीत के उपलक्ष में अगले दिन दीए जलाकर अपना आभार प्रकट किया और उसके बाद यह दिन दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा .
पांच दिनों का त्योहार - दिवाली
दिवाली का त्यौहार पांच दिन तक मनाया जाता है .
धनतेरस - इस वर्ष धनतेरस या धन्वंतरि त्रयोदशी, 12 नवंबर को पड़ रही है | इस दिन मुख्य रूप से धन के देवता कुबेर , गणेश जी तथा लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है | ज्यादातर लोग इस दिन सोना या किसी अन्य धातु का बर्तन अवश्य खरीदते हैं .
छोटी दिवाली- दूसरे दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है , जो इस वर्ष 13 नवंबर को पड़ रही है | इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है , क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था | दक्षिण भारत में दीपावली का मुख्य पर्व इसी दिन मनाया जाता है .
बड़ी दिवाली - उत्तर भारत में मुख्य त्योहार बड़ी दिवाली , तीसरे दिन मनाई जाती है, जो इस वर्ष 14 नवंबर को पड़ रही है . इस दिन सब लोग अपने घर व आसपास के स्थान को दीयों से रोशनी करके दियो से रोशनी करके सजाते हैं .लक्ष्मी जी की पूजा का इस दिन विशेष महत्व होता है | इस दिन हिंदुओं का नया वर्ष शुरू होता है |
गोवर्धन पूजा - चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है ,जो इस साल 15 नवंबर को पड़ रही है | इस दिन व्यवसायी जन , नए वर्ष के लिए नया बहीखाता खोलते हैं .
भाई दूज - पांचवे दिन , भाई दूज मनाया जाता है ,जो कि इस साल 14 नवंबर को पड़ रहा है .| इस दिन बहने पूजा करती हैं, भाई का तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु की मंगल कामना करते हैं .
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इस साल दिवाली की पूजा का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : -17:30:04 से 19:25:54
अवधि :- 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल : -17:27:41 से 20 :06 :58
वृषभ काल : -17:30:04 से 19:25:54
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