श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि इस महीने की अंतिम तिथि होती है और इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। भारत के विभिन्न भागों में इस दिन को अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। उदाहरण के तौर पर पूर्व भारत में इस दिन रक्षा बंधन का त्यौहार मनाते हैं और दक्षिण भारत में इस दिन नरियाली पूर्णिमा मनाई जाती है। ऐसे ही अन्य जगहों पर इसे अन्य तरीकों से मनाया जाता है। लोग श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को विशेष पूजा करते हैं और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं।
ऐसे तो हर महीने के पूर्णिमा तिथि बहुत खास होती है लेकिन श्रावण पूर्णिमा की बात अलग ही है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण के पूर्णिमा के दिन किए गए व्रत से आपको वर्ष भर के किए गए अन्य सभी व्रतों के समान फल मिलता है। इस दिन पूजा-पाठ करने से और भगवान शिव तथा चंद्र देव की आराधना करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से राहत मिलती है। यदि आपकी कुंडली में चंद्र की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन आप अवश्य पूजा करें।
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श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि
इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त यानी शनिवार को संध्या 07 बजकर 02 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन 22 अगस्त को संध्या 05 बजकर 33 मिनट पर होगा। इस दिन रक्षा बंधन एवं अन्य जगहों पर अन्य त्यौहार मनाए जाएंगे। 22 अगस्त को ही व्रती अपना व्रत रखेंगे। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से आपको जीवन में बहुत लाभ मिल सकता है।
श्रावणी पूर्णिमा के दिन करें ये काम
- श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि बहुत ही पवित्र मानी जाती है। इस दिन दान-धर्म का काम करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन व्यक्ति को चींटी और मछलियों को दाना खिलाना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन गाय को चारा खिलाना भी बहुत लाभदायक होता है।
- यदि कोई भी व्यक्ति अगर जनेऊ धारण करते हैं तो इस दिन उन्हें अपने मन, वाणी और कर्म को पवित्र रखने का संकल्प लेना चाहिए। इस संकल्प के साथ ही उन्हें इस दिन अपना धारण किया हुआ जनेऊ बदलकर नया जनेऊ धारण करना चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा कि जाती है। इनके आशीर्वाद से साधक को सुख, शांति, समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
- इस दिन पूजा के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराना भी बहुत शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के अतिरिक्त आप उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।
श्रावणी पूर्णिमा और रक्षा बंधन
जैसा कि हमने आपको बताया भारत के विभिन्न क्षेत्रों में श्रावण मास की पूर्णिमा अलग-अलग रूप में मनाई जाती है। लेकिन मुख्य तौर पर इस दिन को रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है। रक्षा बंधन का त्यौहार मुख्यतः भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित होता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनका तिलक कर उनकी आरती उतारती हैं। इसके पश्चात भाई अपनी बहनों को ये वचन देते हैं कि वे जीवन भर उनकी रक्षा करेंगे। इसके साथ ही वे अपनी बहन उपहार भी देते हैं।
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