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जानें 'बम बम भोले' सुनकर क्यों प्रसन्न होते हैं महादेव

Myjyotish expert Updated 28 Jul 2021 08:51 PM IST
Har har mahadev
Har har mahadev - फोटो : google
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श्रावण का महीना शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत 25 जुलाई को हुई थी और 22 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन समाप्त होगा। श्रावण मास हिंदी वर्ष का पांचवा महीना होता है और इसी के साथ वर्षा ऋतु की भी शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भी इस महीने का विशेष महत्व माना जाता है। ये महीना भगवान शिव को बेहद पसंद है और ये पूरा महीना भक्त उनकी और माता पार्वती की सेवा और पूजा में समर्पित कर देते हैं। कई लोग मीलों की यात्रा करके भगवान के दर्शन करने उनके प्रसिद्ध मंदिरों में जाते हैं। 

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जब भी भक्त शिव जी के दर्शन करने जाते हैं या जब कावड़िए यात्रा पर निकलते हैं तो वो रास्ते में “बम बम भोले” अथवा “बोल बम बम” जैसे नारे लगाते हैं। क्या आपको पता है इसका क्या कारण है? अगर नहीं, तो ये लेख आप अंत तक अवश्य ही पढ़ें। भगवान शिव को वैरागी के रूप में देखा जाता है। वे कभी वनों में, कभी पर्वत पर तो कभी शमशान में नज़र आते हैं। वे सदैव इधर-उधर भ्रमण करते हैं। जब उनकी इच्छा हो तो किसी पर्वत पर किसी पेड़ की छांव में बैठकर ध्यान करने लगते हैं। उनके अनुचर और आराधक भी भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं। इनमें भूत, पिशाच, तांत्रिक, देवता सभी शामिल हैं। 

भगवान शिव को भोलेनाथ कहकर भी संबोधित किया जाता है। उन्हें या नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि भगवान शिव को स्वभाव का बहुत हो सरल और भोला माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि महादेव को प्रसन्न करना काफ़ी सरल होता है। महादेव अपने भक्तों की सच्ची आस्था के साथ किए गए छोटे-छोटे प्रयासों से भी खुश हो जाते हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। इन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को कोई विशेष विधान या वाद्ययंत्र की आवश्यकता नहीं होती। इसी का एक उदाहरण हम आपको विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं। 

आपको पता ही होगा कि जब भी अन्य देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो उसके अंत में शंख, भेरी, घंटी, मृदंग, नगाड़ा, आदि का वादन किया जाता है। मान्यता है कि इन वाद्ययंत्रों की ध्वनि से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। अपितु शिव जी की पूजा में ये सारी ध्वनियां आवश्यक नहीं होती। जो ध्वनि सुनकर वो प्रसन्न होते हैं वो इन सब से बेहद सरल होती है। अगर भक्त महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो वो बस स्वयं के गाल बजाकर “बम बम भोले”, “बोल बम बम” अथवा “भोलेशंकर” के नारे लगा सकते हैं। इसके पश्चात भक्त उन्हें साष्टांग दंडवत प्रणाम करें तो उत्तम होगा। शिव पुराण में बताया गया है कि महादेव को मुख वाद्य यानी गले से निकली ध्वनि से संतुष्ट किया जा सकता है। 

“बम बम” को प्रणव अर्थात पवित्र शब्द “ॐ” का सरल रूप माना गया है। एक बार जब शिव जी पार्वती मां से वार्तालाप कर रहे थे तब उन्होंने इस चीज़ की व्याख्या की थी। उन्होंने बताया था कि प्रणव अर्थात पवित्र शब्द “ॐ” ही सभी वेदों का सार है। इस शब्द को स्वयं शिव जी का स्वरूप माना जाता है। “ॐकार” शब्द की उत्पत्ति शिव जी के मुख से ही हुई है इसलिए इन्हें इनका ही स्वरूप माना जाता है। शिव जी ने बताया की उत्तर की ओर उनके मुख से अकार की उत्पत्ति हुई है। इसी प्रकार पश्चिम की ओर मुख करने से उकार की, दक्षिण की ओर मुख से मकार की, पूर्व की ओर मुख से बिंदु की और मध्य की ओर मुख से नाद की उत्पत्ति हुई है। इन सभी के मेल से “ॐ” शब्द का निर्माण हुआ है। इसलिए इस शब्द की बहुत मान्यता है और इस शब्द का स्मरण करना स्वयं शिव को स्मरण करने के समान है। “बम बम” इसी का सरल रूप होने के कारण इतनी मान्यता रखता है।

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