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Home ›   Blogs Hindi ›   Shiv Chaturdashi Vrat: Special time of Lord Rudrabhishek when you get blessings of Mahadev.

Shiv Chaturdashi Vrat: भगवान के रुद्राभिषेक का विशेष समय जब मिलता है महादेव का आशीर्वाद

Acharyaa RajRani Updated 21 Dec 2023 11:35 AM IST
Shiv Chaturdashi Vrat
Shiv Chaturdashi Vrat - फोटो : google

खास बातें

Shiv Chaturdashi Vrat: भगवान के रुद्राभिषेक का विशेष समय जब मिलता है महादेव का आशीर्वाद 
 
Shiv Chaturdashi Vrat: शिव चतुर्दशी का व्रत 25 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा. यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ रुद्राभिषेक का भी विशेष उत्सव होता है. इस दिन भगवान शिव का अनेक नामों से अभिषेक किया जाता है.

 
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Shiv Chaturdashi Vrat: भगवान के रुद्राभिषेक का विशेष समय जब मिलता है महादेव का आशीर्वाद 

 
Shiv Chaturdashi Vrat: शिव चतुर्दशी का व्रत 25 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा. यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ रुद्राभिषेक का भी विशेष उत्सव होता है. इस दिन भगवान शिव का अनेक नामों से अभिषेक किया जाता है.

Chaturdashi Vrat: मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली यह चतुर्दशी पूजा के लिए विशेष होती है. इस दिन भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा की जाती है और इस दिन दान-पुण्य करने का भी बहुत विशेष महत्व होता है.
 
मोक्षदा एकादशी पर सोई हुई किस्मत जगाने का समय -लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली : 22 से 23 दिसंबर -2023
 

मार्गशीर्ष चतुर्दशी व्रत पूजा Margashirsha chaturdashi worship method

 इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करें. इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक भी अत्यंत फलदायी होता है. इस दिन शिवलिंग पर कई तरह की वस्तुओं को अर्पित करना शुभ होता है.  
 

मार्गशीर्ष मास की शिव चतुर्दशी

हर माह चतुर्दशी तिथि को शिव पूजा की जाती है. यह 25 दिसंबर, सोमवार को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस व्रत को करने से मनवांछित सुख की प्राप्ति होती है. विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं. शिव पुराण में इसे सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला व्रत बताया गया है.

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शिव चतुर्दशी चालिसा Shiv Chalisa: 

शिव चतुर्दशी के दिन शिवलिंग की पूजा के साथ कुछ चालिसा का जाप करना उत्तम होता है. भक्तों ने भगवान का अभिषेक किया और मंत्रोच्चारण कर पूजा को फलदायी बनाया.  

शिव चालीसा

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान.
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान..
जय गिरिजा पति दीन दयाला. सदा करत संतन प्रतिपाला..
भाल चंद्रमा सोहत नीके. कानन कुंडल नागफनी के..
अंग गौर शिर गंग बहाये. मुंडमाल तन छार लगाये..
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे. छवि को देख नाग मुनि मोहे..
मैना मातु की ह्वै दुलारी. बाम अंग सोहत छवि न्यारी..
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी. करत सदा शत्रुन क्षयकारी..
नंदि गणेश सोहै तहं कैसे. सागर मध्य कमल हैं जैसे..
कार्तिक श्याम और गणराऊ. या छवि को कहि जात न काऊ..
देवन जबहीं जाय पुकारा. तब ही दुख प्रभु आप निवारा..
किया उपद्रव तारक भारी. देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी..
तुरत षडानन आप पठायउ. लवनिमेष महं मारि गिरायउ..
आप जलंधर असुर संहारा. सुयश तुम्हार विदित संसारा..
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई. सबहिं कृपा कर लीन बचाई..
किया तपहिं भागीरथ भारी. पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी..
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं. सेवक स्तुति करत सदाहीं..
वेद नाम महिमा तव गाई. अकथ अनादि भेद नहिं पाई..
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला. जरे सुरासुर भये विहाला..
कीन्ह दया तहं करी सहाई. नीलकंठ तब नाम कहाई..
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा. जीत के लंक विभीषण दीन्हा..
सहस कमल में हो रहे धारी. कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी..
एक कमल प्रभु राखेउ जोई. कमल नयन पूजन चहं सोई..
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर. भये प्रसन्न दिए इच्छित वर..
जय जय जय अनंत अविनाशी. करत कृपा सब के घटवासी..
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै . भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै..
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो. यहि अवसर मोहि आन उबारो..
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो. संकट से मोहि आन उबारो..
मातु पिता भ्राता सब कोई. संकट में पूछत नहिं कोई..
स्वामी एक है आस तुम्हारी. आय हरहु अब संकट भारी..
धन निर्धन को देत सदाहीं. जो कोई जांचे वो फल पाहीं..
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी. क्षमहु नाथ अब चूक हमारी..
शंकर हो संकट के नाशन. मंगल कारण विघ्न विनाशन..
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं. नारद शारद शीश नवावैं..
नमो नमो जय नमो शिवाय. सुर ब्रह्मादिक पार न पाय..
जो यह पाठ करे मन लाई. ता पार होत है शंभु सहाई..
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी. पाठ करे सो पावन हारी..
पुत्र हीन कर इच्छा कोई. निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई..
पंडित त्रयोदशी को लावे. ध्यान पूर्वक होम करावे ..
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा. तन नहीं ताके रहे कलेशा..
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे. शंकर सम्मुख पाठ सुनावे..
जन्म जन्म के पाप नसावे. अन्तवास शिवपुर में पावे..
कहे अयोध्या आस तुम्हारी. जानि सकल दुःख हरहु हमारी..
दोहा
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा.
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश..
मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान.
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण..
 
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